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ललित सुरजन की कलम से - बजट क्या कहता है-1

अब हम वित्तमंत्री से जानना चाहेंगे कि वर्तमान में किसान की औसत आय कितनी है और पांच साल बाद याने 2022 में बढ़कर वह कितनी हो जाएगी

ललित सुरजन की कलम से - बजट क्या कहता है-1
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'अब हम वित्तमंत्री से जानना चाहेंगे कि वर्तमान में किसान की औसत आय कितनी है और पांच साल बाद याने 2022 में बढ़कर वह कितनी हो जाएगी। इन पांच सालों में महंगाई और मुद्रा स्फीति की दर क्या होगी।

याने दूसरे शब्दों में अगर आज आमदनी एक हजार है और पांच साल बाद दो हजार और इस बीच बाजार में वस्तुएं एवं सेवाएं भी उतनी ही महंगी हो गईं तो फिर हासिल क्या आएगा? हम देख रहे हैं कि देश में शिक्षा और स्वास्थ्य का तेजी से निजीकरण हो रहा है।

आज गांव के किसान या खेतिहर मजदूर का बेटा बिना फीस वाले सरकारी स्कूल में जाता है। वहां उसे मध्याह्न भोजन भी मिलता है। युक्तियुक्तकरण के नाम पर सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं। पांच साल बाद ग्रामीण को अगर अपने बच्चे को निजी स्कूलों में भेजना पड़ा या परिवार का इलाज निजी अस्पताल में करवाना पड़ा तो उसकी कथित अतिरिक्त आमदनी तो वहीं खत्म हो जाएगी?'

(देशबन्धु में 03 मार्च 2016 को प्रकाशित)


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