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ललित सुरजन की कलम से- तालाब सुखाने और पेड़ काटने का सुख

बिलासपुर यात्रा में मैंने एक तरफ तो यह देखा कि रास्ते के तमाम वृक्ष काटे जा चुके हैं और दूसरी ओर बिलासपुर शहर का तापमान रायपुर से अधिक रहने लगा है

ललित सुरजन की कलम से- तालाब सुखाने और पेड़ काटने का सुख
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' बिलासपुर यात्रा में मैंने एक तरफ तो यह देखा कि रास्ते के तमाम वृक्ष काटे जा चुके हैं और दूसरी ओर बिलासपुर शहर का तापमान रायपुर से अधिक रहने लगा है। राजमार्ग के पेड़ इसलिए कटे क्योंकि सड़क को फोरलेन बनाया जा रहा है।

मैं मानता हूं कि देश में सभी तरफ बेहतर सड़कों की आवश्यकता है। देश के भीतर परिवहन की गति और सुरक्षा दोनों बढ़ाने की आवश्यकता है। भारत वैश्विक अर्थतंत्र का हिस्सा है और उसकी भी यही मांग है।

रूपक रचना हो तो कहूंगा कि रॉकेट युग में बैलगाड़ी की रफ्तार से चलना अब वांछित नहीं है। इसके विस्तृत कारणों में नहीं जाऊंगा। लेकिन ध्यान आता है कि जब रायपुर नगर से विमानतल के रास्ते के सैकड़ों वृक्षों को बचाने के लिए योजना बन सकती है तो क्या बिलासपुर के मार्ग पर लगे ऊंचे घने पेड़ों को बचाना संभव नहीं था? हमारे देश में गर्मियां लंबी होती हैं।

तीखी धूप का सामना कई महीनों तक करना पड़ता है। ये सड़क किनारे के पेड़ राहगीरों को सुकून पहुंचाते थे। इस बारे में सड़क बनाने वाले विभागों ने ध्यान नहीं दिया, इसकी तारीफ नहीं की जा सकती।'

(देशबन्धु में 17 मई 2018 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2018/05/blog-post_17.html


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