Top
Begin typing your search above and press return to search.

ललित सुरजन की कलम से- मानसरोवर यात्रा पर राहुल

मुझे बांग्ला के प्रसिद्ध उपन्यासकार प्रबोध कुमार सान्याल का फिर स्मरण हो आता है

ललित सुरजन की कलम से- मानसरोवर यात्रा पर राहुल
X

'मुझे बांग्ला के प्रसिद्ध उपन्यासकार प्रबोध कुमार सान्याल का फिर स्मरण हो आता है। उन्होंने 'हुस्नबानो' उपन्यास लिखा था जिसमें पूर्व और पश्चिम, हिन्दू और मुस्लिम के द्वैत से हटकर बंगाल की सांस्कृतिक एकता पर बल दिया गया था। यह उपन्यास धर्मनिरपेक्षता की पुरजोर वकालत करता है।

मजे की बात है कि इन्हीं प्रबोध कुमार सान्याल ने दो बार हिमालय की सुदीर्घ यात्राएं कीं। उनके यात्रा विवरण 'देवतात्मा हिमालय' और 'महाप्रस्थान के पथ पर' इन दो ग्रंथों में संकलित हैं। एक व्यक्ति अपने निजी धार्मिक विश्वासों के बावजूद कैसे धर्म की संकीर्णता से उबर सकता है श्री सान्याल उसका प्रबल प्रमाण हैं। उस दौर में वे ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं थे।

सच कहें तो सारे देश का माहौल कुछ इसी तरह का था कि धरम-करम घर तक सीमित रखो, और सार्वजनिक जीवन में संकीर्ण मतवाद से दूर रहो। हमने तो रायपुर में देखा है कि गणेश उत्सव और नवरात्रि के समय पंडालों में सार्वजनिक महत्व के विषयों पर भाषण व वाद विवाद आदि कार्यक्रम होते थे और उनमें विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, कॉलेज के प्राचार्य, पत्रकार, कलाकार इत्यादि बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते थे। उनमें तब आज जैसा धार्मिक आस्था का भौंडा प्रदर्शन नहीं होता था।'

(देशबन्धु में 06 सितंबर 2018 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2018/09/blog-post.html


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it