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ललित सुरजन की कलम से- आम जनता पर इंटरनेट की खुफिया निगाह

इंटरनेट का आविष्कार और विकास अमेरिका के सैन्य-पूंजी गठजोड़ की हिफाजत और उसके उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए हुआ है

ललित सुरजन की कलम से- आम जनता पर इंटरनेट की खुफिया निगाह
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इंटरनेट का आविष्कार और विकास अमेरिका के सैन्य-पूंजी गठजोड़ की हिफाजत और उसके उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए हुआ है। यदि कोई व्यक्ति या समूह इस एजेंडा के दाएं-बाएं जाने की कोशिश करेगा तो उसके बारे में इंटरनेट के माध्यम से संकलित सूचनाओं का उपयोग उसी पर चट्टान पटक देने जैसी कार्रवाई में किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में जिनका इंटरनेट पर नियंत्रण है वे आपके बारे में राई-रत्ती खबर रखते हैं। आपने यदि व्यवस्था का विरोध किया तो एक सीमा तक ही आपकी हरकतें बर्दाश्त की जाएंगी।

मानवाधिकारों के लिए सचेष्ट अनेक समूह पिछले कुछ वर्षों में इस बारे में चिंता प्रकट करते रहे हैं। क्योंकि इंटरनेट और उसके उपकरण मनुष्य की निजता का, उसके गोपनीयता के अधिकार का अतिक्रमण और हनन करते हैं। ट्विटर या फेसबुक पर की गई एक लापरवाह पोस्ट किसी व्यक्ति को आनन-फानन में जेल के सींखचों के पीछे पहुंचा सकती है।

भारत में ही उदाहरण है कि राजनेता का कार्टून बनाने पर या हल्के ढंग से की गई टिप्पणी पर किसी फेसबुक उपयोगकर्ता को गिरफ्तार कर लिया गया। व्यक्ति अपनी सफाई देता रहे, बाद में भले ही निर्दोष सिद्ध हो जाए, लेकिन जब उसे प्रताड़ित किया जाता है, तो शेष समाज में भय का संचार होना स्वाभाविक हो जाता है। कहने का आशय यह है कि सूचना प्रौद्योगिकी को लेकर व्यक्ति को कोई रूमानी धारणाएं नहीं पालनी चाहिए। इसमें डाकिया डाक लाया या चिठ्ठी आई है जैसे गाना गाने की गुंजाइश नहीं है।

देशबंधु में 29 मार्च 2018 को प्रकाशित

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