ललित सुरजन की कलम से- कू्रर इजराइल : पीड़ित फिलिस्तीन
'हमें इस तथ्य को भी रेखांकित करना चाहिए कि ऐसा नहीं कि समूची यहूदी कौम या पूरा इजराइल देश ही फिलिस्तीनियों के खिलाफ है

'हमें इस तथ्य को भी रेखांकित करना चाहिए कि ऐसा नहीं कि समूची यहूदी कौम या पूरा इजराइल देश ही फिलिस्तीनियों के खिलाफ है। इजराइल के तेल अवीव और अन्य शहरों में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं कि वह अपनी युद्धपरस्त नीति छोड़े। इजराइली फौज के कितने ही सैनिक जेलों में बंद हैं कि उन्होंने मासूम फिलिस्तीनियों पर हथियार चलाने से इंकार कर दिया।
न्यूयार्क और लंदन में भी नेतान्यहू सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। इजराइल समर्थकों को यह तथ्य भी जान लेना चाहिए कि दुनिया के सबसे महान वैज्ञानिक आइंस्टीन को जब इजराइल का प्रथम राष्ट्रपति बनने का न्यौता दिया गया तो उसे उन्होंने ठुकरा दिया था। भारत की दृष्टि से एक व्यवहारिक बिन्दु गौरतलब है कि अरब देशों में बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक काम कर रहे हैं। अगर इजराइल से ज्यादा दोस्ती निभाए तो भारतीयों के रोजगार के अवसर भी छिन सकते हैं और बहुमूल्य विदेशी मुद्रा कमाने का अवसर भी गंवा जा सकता है।'
(देशबन्धु में 4 अक्टूबर 2012 को प्रकाशित )


