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ललित सुरजन की कलम से- विधानसभा चुनाव: कुछ देखी, कुछ सुनी

भारतीय जनता पार्टी के तीन मुख्यमंत्री अब भूतपूर्व हो गए हैं। 17 दिसंबर को नए मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण का दृश्य हर तरह से सुंदर था कि वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह और रमन सिंह तीनों अपने-अपने प्रदेश के समारोह में मंच पर उपस्थित थे

ललित सुरजन की कलम से- विधानसभा चुनाव: कुछ देखी, कुछ सुनी
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भारतीय जनता पार्टी के तीन मुख्यमंत्री अब भूतपूर्व हो गए हैं। 17 दिसंबर को नए मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण का दृश्य हर तरह से सुंदर था कि वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह और रमन सिंह तीनों अपने-अपने प्रदेश के समारोह में मंच पर उपस्थित थे। ऐसा शिष्टाचार अनुकरणीय है।

लेकिन लगता है कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह अपनी हार को नहीं भुला पा रहे हैं।

वे इन दिनों लगातार जिस तरह से स्वयं को सुर्खियों में बनाए रखने के यत्न कर रहे हैं उसे देखकर कुछ अच्छा नहीं लगता। शिवराज जी को 'टाइगर अभी जिंदा है' जैसे फिल्मी डायलागों का सहारा क्यों लेना चाहिए।

उनके संवाद पर दिग्विजय सिंह का कटाक्ष मारक था कि कांग्रेस सरकार विलुप्तप्राय जीवों के संरक्षण के लिए संकल्पबद्ध है, फिर भले ही बाघ बिना दांत व नाखून का क्यों न हो। हमारा आशय इतना ही है कि हारने के बाद इतना उतावलापन नहीं दिखाना चाहिए।

(देशबन्धु में 27 दिसम्बर 2018 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2018/12/blog-post_26.html


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