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कपास की खेती से लेकर कताई बुनाई, निर्यात की कड़ियों को मजबूत करेगा देश : गोयल

भारत में कपास की खेती और सूती वस्त्र के विनिर्माण से लेकर विदेशों में उसके निर्यात में देश की स्थिति मजबूत करने के बारे में रविवार को राजधानी में सरकार और सभी संबंधित पक्षों के प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई

कपास की खेती से लेकर कताई बुनाई, निर्यात की कड़ियों को मजबूत करेगा देश : गोयल
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नई दिल्ली। भारत में कपास की खेती और सूती वस्त्र के विनिर्माण से लेकर विदेशों में उसके निर्यात में देश की स्थिति मजबूत करने के बारे में रविवार को राजधानी में सरकार और सभी संबंधित पक्षों के प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई।

बैठक में वाणिज्य एवं उद्योग, खाद्य तथा कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी शामिल थे।
बैठक के बाद श्री गोयल ने संवाददाताओं से कहा,“भारत में कपास की उत्पादकता बढ़ाने के लिए वैश्विक मानकों को अपनाने का समय आ गया है।”

श्री गोयल ने कहा कि सभी पक्षों को अपने अच्छे से अच्छे अनुभवों को साझा करने चाहिए जिससे कपास की उत्पादकता और किसानों की आय बढ़ाई जा सके।
श्री गोयल ने कहा कि कपड़ा उद्योगों को भी कपास के उत्पादन को बढ़ाने के मामले में अनुसंधान में योगदान करना चाहिए। इसके अलावा भी किसानों को शिक्षित करने और कपास की ब्रांडिंग करने के बारे में भी उद्योग जगत का सहयोग मिलना चाहिए। इसमें सरकार का भी बराबर का सहयोग मिलेगा।

श्री गोयल ने कहा,“हमें अपने उत्तम किस्म की कपास की ब्रांडिंग करनी चाहिए और इसमें उद्योग का भी बराबर का योगदान होना चाहिए।” उन्होंने रंगीन एचडीपीई जैसे संदूषण के मुद्दे पर भी कार्यवाही की जरूरत पर बल दिया और कहा कि उद्योग जगत को इस क्षेत्र में शीघ्र वृहद योजना बना लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्विक कपास उद्योग में भारत की मजबूत स्थिति को फिर से बाहर करने की जरूरत है उनका की सरकार कपड़ा क्षेत्र को आत्मनिर्भर भारत मिशन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में देखती है।

बैठक में कृषि मंत्री श्री तोमर ने कहा कि देश में रोजगार संवर्धन में कपास का उत्पादन और उत्पादकता का बढ़ाया जाना बहुत महत्वपूर्ण है। इस संबंध में अल्पकालिक और दीर्घकालिक रणनीति की जरूरत है।

श्री तोमर ने इस मामले में सघन खेती और माइक्रो सिंचाई परियोजनाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।
कृषि और कपड़ा मंत्रालय के बीच इस तरह की पहली बैठक थी जिसमें कपास का उत्पादन और उत्पादकता तथा वस्त्र उद्योग की संपूर्ण श्रृंखला और इसके निर्यात तक की कड़ियों पर चर्चा की गई।


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