जरूरतमंदों को मिलेगा मुफ्त कानूनी ईलाज : तलवंत
मुफ्त कानूनी सेवा क्लिीनिक की स्थापना से न सिर्फ समाज के कमजोर व वंचित वर्गों को कानूनी सलाह मुफ्त मिल सकेगी, बल्कि कानूनी प्रक्रिया के दौरान न्यायपालिका पर पड़ रहे बोझ को भी कम किया जा सकेगा

नई दिल्ली। मुफ्त कानूनी सेवा क्लिीनिक की स्थापना से न सिर्फ समाज के कमजोर व वंचित वर्गों को कानूनी सलाह मुफ्त मिल सकेगी, बल्कि कानूनी प्रक्रिया के दौरान न्यायपालिका पर पड़ रहे बोझ को भी कम किया जा सकेगा। उक्त बातें जिला एवं सत्र-न्यायाधीश और केंद्रीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के अध्यक्ष तलवंत सिंह ने मंगलवार को कहीं। इस दौरान उन्होंने केंद्रीय जिला अधिकारी निधि श्रीवास्तव के साथ एस.डी.एम. कार्यालय, करोल बाग में स्थापित शहर के पहले कानूनी क्लिनिक का उद्घाटन भी किया। उनके साथ अपर-जिला अधिकारी रंजीत सिंह, स्थानीय विधायक विशेष रवि, न्यायाधीश व डीएलएसए के सचिव संदीप गुप्ता और विनोद कुमार भी उपस्थित थे। निधि श्रीवास्तव ने बताया कि मुफ्त कानूनी सेवा क्लिीनिक प्रत्येक सोमवार सुबह 10:00 बजे से सायं 5:00 बजे तक खुला रहेगा।
कानूनी सलाह के इच्छुक नागरिक क्लिनिक में उपस्थित वकील से मुफ्त कानूनी सलाह प्राप्त कर सकते हैं।श्रीवास्तव के मुताबिक ये क्लिनिक देश के संविधान के तहत उपलब्ध कानूनी फायदे और इनके हकदार व्यक्तियों के मध्य सेतु का कार्य करेगा। इनकी स्थापना समाज के कमजोर एवं वंचित वर्गो को कानूनी सलाह उपलब्ध कराने के लिए की गई है ताकि कोई भी व्यक्ति धन व जानकारी के अभाव में न्याय से वंचित न रह जाए। वहीं, जिला न्यायाधीश तलवंत सिंह ने कहा कि जल्द ही पूरी दिल्ली में ऐसे ही कानूनी क्लिनिकों की स्थापना की जाएगी, जो लोक अदालत तथा अन्य वैकल्पिक समाधान प्रणाली को सुदृढ़ता प्रदान करने के साथ समाज के कमजोर व वंचित वर्गों को शीघ्र और किफायती समाधान प्रदान करने में भी सहायक होंगे।
मुफ्त कानूनी सेवा क्लिीनिक में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जन जाति के सदस्य, महिला, बच्चे, औद्योगिक कामगार, हिरासत में लिया गया कोई भी व्यक्ति, संरक्षित गृह के बच्चे और मन: चिकित्सा अस्पताल या नर्सिग होम में भर्ती मरीज समेत मानसिक रूप से बीमार अन्य व्यक्ति, मानव व्यापार या भिक्षावृत्ति के पीड़ित और दिव्यांग (अंधेपन लोकोमोटर अपंगता, श्रवण हानि, मंदबुद्धि या कुष्ठ रोग से पीड़ित) व्यक्ति को नि:शुल्क विधिक सेवाएं प्रदान की जाएंगी।
इनके साथ ही सामूहिक आपदा, नैतिक हिंसा, जातिगत अत्याचार, बाढ़ सूखा, भूकम्प या औद्योगिक आपदा के पीड़ित व्यक्ति और दो लाख रुपए से कम वार्षिक आय वाले किन्नर ( ट्रांसजेंडर ), वरिष्ठ नागरिक और एक लाख रुपए से कम वार्षिक आय वाले व्यक्ति नि:शुल्क कानूनी सहायता ले सकेंगे।


