नये मुद्दों के साथ चौथे चरण का मतदान
18वीं लोकसभा के लिये सम्पन्न हो चुके तीन चरणों के मतदान के बाद अब चर्चा यह नहीं हो रही है कि क्या भारतीय जनता पार्टी ने अपने लिये 370 सीटों का और अपने गठबन्धन नेशनल डेमोक्रेटिक एलाएंस के साथ मिलकर 400 सीटें हासिल करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया था

18वीं लोकसभा के लिये सम्पन्न हो चुके तीन चरणों के मतदान के बाद अब चर्चा यह नहीं हो रही है कि क्या भारतीय जनता पार्टी ने अपने लिये 370 सीटों का और अपने गठबन्धन नेशनल डेमोक्रेटिक एलाएंस के साथ मिलकर 400 सीटें हासिल करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया था, उसे पाने की स्थिति में वह है या नहीं। अब तो यह सवाल किया जाने लगा है कि भाजपा सत्ता में वापसी करेगी या नहीं और नरेन्द्र मोदी, जो दो कार्यकालों के बहुत से अधूरे कामों को पूरा करने के लिये तीसरी मर्तबा प्रधानमंत्री बनने को आतुर हैं, अपने लक्ष्य को पाने में सफल होते हैं या नहीं। इसका कारण केवल इतना नहीं है कि पहले तीन चरणों में ही भाजपा और नरेंद्र मोदी दोनों पस्त दिख रहे हैं। तीनों चक्रों में हुआ अपेक्षाकृत कम मतदान भाजपा के लिये खतरे की घंटी बतलाई जा रही है जिसकी पुष्टि कई राजनीतिक पर्यवेक्षक, मत सर्वेक्षण एवं विश्लेषण एक स्वर में कर रहे हैं। कम मतदान किसी निश्चित परिणाम की ओर इंगित नहीं करता परन्तु कम मतदान के साथ अनेक ऐसे तथ्य गिनाए जा रहे हैं जिनके आधार पर लोग इस नतीजे पर पहुंचे हैं।
प्रतिपक्षी गठबन्धन 'इंडिया' का सतत मजबूत होना, लोगों का कांग्रेस के 'न्याय पत्र' से प्रभावित होना, युवाओं, बेरोजगारों, महिलाओं, अनुसूचित जाति-जनजातियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, आदि वर्गों का कांग्रेस से जुड़ाव, भाजपा विरोधी स्थानीय क्षत्रपों का प्रभावशाली प्रचार अभियान आदि ऐसे कारण हैं जो सत्तारुढ़ भाजपा को चरण-दर-चरण कमजोर करते चले जा रहे हैं। इलेक्टोरल बॉन्ड्स और ईवीएम जैसे गम्भीर मसलों के साथ चुनाव के प्रथम चरण में प्रवेश करने वाली भाजपा के सामने चौथे चक्र तक पहुंचते हुए कई नयी दिक्कतें खड़ी हो गई हैं। इन्हें लेकर लोगों का मानना है कि इनसे एक ओर तो पार्टी का सीटों के लिहाज से भारी नुकसान हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ खुद श्री मोदी पहले के मुकाबले और भी कमजोर दिखाई दे रहे हैं। पहले तीन चरणों में 283 सीटों पर मतदान हुआ है जिनमें कई राज्य तो पूरे ही निपट चुके हैं, वहीं अब 260 सीटों पर मतदान होना है। इनमें से सोमवार को 10 राज्यों के 96 निर्वाचन क्षेत्रों के लिये मतदान होगा जिसके बाद तेलंगाना व कर्नाटक का चुनाव पूरा हो जायेगा। इस चरण के साथ 18 राज्यों एवं 4 केन्द्र शासित प्रदेशों की सभी सीटों के लिये मतदान पूरा हो जायेगा।
संगठन के रूप में भाजपा जिन समस्याओं के साथ अगले चरण के मतदान में प्रवेश कर रही है उनमें सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि लाख प्रयासों के बाद भी वह मतदान का प्रतिशत बढ़ाने में असमर्थ दिखाई दे रही है। इसका पहला कारण तो यह है कि देश भर में, उन राज्यों व क्षेत्रों समेत जहां मतदान होगा- गर्मी कम होने के कोई चिन्ह दिखाई नहीं देते। दूसरे, भाजपा को लेकर जो बड़ी नाराज़गी है वह है कोविशील्ड सम्बन्धी खुलासा, जिसके बारे में यह बात सामने आई है कि कोरोना की इस वैक्सीन का जो फार्मूला है उसकी मालिक एस्ट्राजेनेका कंपनी ने स्वीकार किया है कि इसे लगवाने वालों का खून गाढ़ा हुआ है। कई लोगों को दिल का दौरा व ब्रेन हेमरेज होने का यह कारक बना है। भारत में यह सबसे ज्यादा लोगों को लगाया गया था। यहां इसका निर्माण करने वाली सीरम इंस्टीट्यूट से भाजपा ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिये 52 करोड़ रुपये लिये हैं। इसे मोदी से व्यक्तिगत रूप से भी इस लिहाज से जोड़ा जा रहा है कि उन्होंने न केवल लोगों को यह टीका लेने के लिये प्रेरित किया बल्कि उसे लेने वालों को जो सर्टिफिकेट दिया जाता है उन पर अपनी फोटो भी छपवाई थी जो मामले का खुलासा होने के बाद हटा दी गई।
इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पौत्र प्रज्ज्वल रेवन्ना के लिये मोदी द्वारा यह कहकर वोट मांगना, कि 'प्रज्ज्वल को मिलने वाला हर वोट उन्हें (पीएम को) मजबूत करेगा', इसलिये भारी पड़ गया क्योंकि हासन से जनता दल (सेक्यूलर) का सांसद व फिर से उसकी टिकट पर चुनाव लड़ रहे प्रज्ज्वल के करीब 3000 अश्लील वीडियो वायरल हो गये जिनमें वह महिलाओं के साथ दुष्कर्म में कथित तौर पर संलिप्त है। आस्ट्रेलिया के प्रमुख अखबार 'हेराल्ड सन' ने मोदी की फोटो लगाकर खबर छापी है जिसका शीर्षक है- 'इंडियन प्राइम मिनिस्टर हैज़ लिंक्स विद मास रेपिस्ट' (भारतीय प्रधानमंत्री के सामूहिक बलात्कारी के साथ सम्बन्ध हैं)। इससे मोदी को छवि के साथ सीटों का भी नुकसान होना तय है।
इसी बीच सियासत की दृष्टि से देश की सर्वाधिक महत्वपूर्ण सीटों- अमेठी और रायबरेली में गांधी परिवार का हुआ प्रवेश बड़ा फर्क पैदा करेगा। वायनाड से लोकसभा के निवर्तमान सांसद तथा वहीं से फिर चुनाव लड़ रहे राहुल गांधी ने उनकी मां सोनिया गांधी की छोड़ी हुई सीट रायबरेली से नामांकन भर दिया है। दूसरी तरफ अमेठी में, जहां राहुल को अपने खिलाफ मैदान में उतरने के लिये ललकारती केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की रणनीति को मात देते हुए इसी परिवार के बहुत नज़दीकी किशोरी लाल शर्मा को कांग्रेस ने उतारकर बड़ी मनोवैज्ञानिक बढ़त बना ली है। इसका असर न केवल इन दो सीटों पर बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में जोरदार पड़ेगा। देश की राजनीति में इन दो सीटों के साथ उप्र का महत्व किसी को बतलाये जाने की ज़रूरत नहीं है। चौथे चरण के पहले शराब कांड में ईडी की गिरफ्तारी के बाद न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेजे गये दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 21 दिनों की जमानत मिली है। वे अब मोदी व भाजपा के खिलाफ जबर अभियान चलाये हुए हैं। ये सारे हालात भाजपा के लिए चुनावी समीकरण उलझा चुके हैं और चौथे दौर में भाजपा के लिए मुश्किल बन गए हैं।


