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ठगी करने वाले 3 लोगों को चार-चार वर्ष की सजा

उत्तराखंड की एक अदालत ने देहरादून में जमीन और मकान देने के नाम पर 39 लाख रुपए की ठगी करने वाले तीन आरोपियों को दोषी मानते हुए चार-चार वर्ष की कठोर सजा सुनाई है

ठगी करने वाले 3 लोगों को चार-चार वर्ष की सजा
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रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड की एक अदालत ने देहरादून में जमीन और मकान देने के नाम पर 39 लाख रुपए की ठगी करने वाले तीन आरोपियों को दोषी मानते हुए चार-चार वर्ष की कठोर सजा सुनाई है। आरोपियों से जुर्माना वसूलकर वादी को साढ़े सात लाख रुपए देने के आदेश भी दिए हैं।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सचिन कुमार पाठक की अदालत ने जुर्माना की राशि से डेढ़ लाख रूपए राजकोष में जमा कराने को भी कहा है। सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील सुदर्शन सिंह चैधरी ने पैरवी की।

घटनाक्रम के अनुसार अनुराग भट्ट ने पांच अगस्त 2017 को पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा था कि उनकी ओर से पुलिस रुद्रप्रयाग को दी गई तहरीर पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। पत्र में वादी ने बताया था कि मयाली में भट्ट आयरन स्टोर के नाम से दुकान थी।

आरोपी अनिल जुयाल ने अपने दोस्तों अरविन्द, हरीश व सुधीर से उनकी पहचान करवाई और मार्च 2016 में उनके द्वारा देहरादून में मकान, जमीन और बैंक से लोन दिलाने के एवज में 45 लाख का सौदा तय हुआ, जिसमें से 39 लाख रुपए विभिन्न किस्तों में इन्हें दिए गए। इसमें सात लाख रुपए अलग-अलग खाते में जमा किए गए, लेकिन धनराशि देने के बाद भी आरोपियों ने मकान या जमीन नहीं दिलाई, जिसके बाद अपना पैंसा वापस देने को कहा, मगर उनके द्वारा अपना फोन स्वीच कर दिया गया। रुद्रप्रयाग थाना पुलिस ने इस मामले में जांच की और आरोपियो को गिरफ्तार कर पूर्व में न्यायालय में पेश किया गया तथा साक्ष्य जुटाए गए।

मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायायिक मजिस्ट्रेट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुनाया, जिसमें हरीश (23), 57 वर्षीय अनिल जुयाल (57) और अमित (29) तीनों आरोपियो को दोषी करार देते हुए चार-चार वर्ष की सजा सुनाई। अदालत ने आरोपियों पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया।

जुर्माना नहीं देने की स्थिति में एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास की सजा भी सुनाई है। साथ ही वादी अनुराग भट्ट से छल कर लिए गए 39 लाख रुपए के प्रतिकर स्वरूप प्रत्येक दोषी से जुर्माने के रूप में तीन लाख रुपए लेने और कुल जुर्माना की राशि में से सात लाख पचास हजार रुपए वादी को देने तथा डेढ़ लाख रुपए राजकोष में जमा कराने का फैसला भी सुनाया।


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