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फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा अब दिल्ली से बाहर भी सेवाएं देगा

दिल्ली एनसीआर में मरीजों को सेवाएं देने के बाद फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा दिल्ली के बाहर भी लोगों को अपनी सुपर स्पेशिएलिटी सेवाएं मुहैया कराने जा रहा है

फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा अब दिल्ली से बाहर भी सेवाएं देगा
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नोएडा। दिल्ली एनसीआर में मरीजों को सेवाएं देने के बाद फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा दिल्ली के बाहर भी लोगों को अपनी सुपर स्पेशिएलिटी सेवाएं मुहैया कराने जा रहा है। यह सेवाएं पश्चिमी उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के मरीजों के लिए वरदान साबित होगी। फोर्टिस ने उत्तराखंड के रूद्रपुर जीवनदीप हॉस्पिटल में सुपर स्पेशिएलिटी ओपीडी सेवा की शुरुआत की है। किडनी और ऑर्थोपेडिक बीमारियों के लिए इस ओपीडी का संचालन कुछ खास दिनों में किया जाएगा जिससे रुद्रपुर और आसपास के इलाकों के लोगों को फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा के जाने-माने स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञों तक पहुंचने का मौका मिलेगा।

फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा के ऑथोर्पेडिक्स विभाग के निदेशक डॉ. अतुल मिश्रा ने कहा, "इस ओपीडी सेवा के माध्यम से हम ऑर्थोपेडिक बीमारियों की समय से पहचान के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने की उम्मीद करते हैं क्योंकि आम तौर पर लोग ऑर्थो दर्द को तब तक अनदेखा करते हैं जब तक यह परेशानी न पैदा करे। हम इस मौके का इस्तेमाल भारत में बढ़ती ऑर्थोपेडिक समस्याओं के बारे में समाज को संवेदनशील बनाने के लिए करना चाहते हैं।"

उन्होंने कहा, "आज की पीढ़ी निष्क्रिय जीवनशैली जीती है जिसमें वे कार्यस्थल पर एक ही स्थिति में बैठे हुए कई घंटों तक काम करते हैं और आम तौर पर उनकी बैठने की स्थिति गलत होती है। इसके अलावा देर रात तक काम करना, कंप्यूटर स्क्रीन के सामने लंबे समय तक बैठे रहने और अनियमित खानपान की आदतें ऑथोर्पेडिक समस्याओं को जीवनशैली की बीमारी बना रही हैं। इसके अलावा अल्कोहल का उपभोग करने और सिगरेट पीने की आदतें (ये अधिक मात्रा में कैल्शियम को नुकसान पहुंचाते हैं) में बढ़ोतरी से हड्डियों से संबंधित रोग होने का जोखिम बढ़ जाता है।"

इस अवसर पर फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा के नेफ्रोलॉजी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अनुजा पोरवाल ने कहा, "इस ओपीडी की शुरुआत हमें मरीजों और उनके परिवारों को किडनी की बीमारियों से बचाव के बारे में जागरूक बनाने में भी मदद करेंगे। मैंने डायलिसिस पर 6-8 वर्ष से लेकर 70-80 वर्ष तक की उम्र के मरीजों को देखा है जिनकी बीमारी के दौरान कई जटिलताएं पैदा हो गईं और ये देखकर मुझे बहुत दुख होता है। हमें इन मरीजों को बचाव के उपायों के लिए समय से सलाह लेने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश करनी चाहिए और जब भी जरूरी हो तो किडनी प्रत्यारोपण कराना चाहिए ताकि डायलिसिस पर खर्च होने वाले पैसे बचा सकें और बेहतर ढंग से जीवन जी सकें।"


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