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विश्वनाथ राय पर केंद्रित पुस्तक का पूर्व राष्ट्रपति प्रणब ने किया विमोचन

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अगस्त क्रांति दिवस के उपलक्ष्य में स्वतंत्रता सेनानी विश्वनाथ राय पर केंद्रित पुस्तक 'राष्ट्र निर्माण में विश्वनाथ राय का योगदान' पुस्तक का विमोचन किया

विश्वनाथ राय पर केंद्रित पुस्तक का पूर्व राष्ट्रपति प्रणब ने किया विमोचन
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नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अगस्त क्रांति दिवस के उपलक्ष्य में महान स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद (1952-1977) विश्वनाथ राय पर केंद्रित पुस्तक 'राष्ट्र निर्माण में विश्वनाथ राय का योगदान' पुस्तक का दिल्ली के में कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में विमोचन किया।

विश्वनाथ राय किसानों और कृषि मजदूरों के हित के ध्वजवाहक के रूप में संसद में सर्वाधिक मुखर रहे। संसद में उनके उठाए प्रश्नों ने तत्कालीन कृषि एवं कृषक लाभप्रद पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण एवं अनुपालन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

समारोह में विशिष्ट अतिथि मनोज सिन्हा (मंत्री), भूपेन्द्र सिंह हुड्डा (विधायक एवं पूर्व मुख्यमंत्री, हरियाणा), रवींद्र कुशवाहा (सांसद), भगत सिंह कोशियारी (सांसद), कर्नल सोनाराम चौधरी (सांसद), प्रदीप टम्टा (सांसद), महाबल मिश्रा (पूर्व सांसद) और विधायक कमलेश शुक्ल उपस्थित थे।

कार्यक्रम में भारतीय सेना के अधिकारी, पूर्व सैनिक, किसान संगठनों के प्रमुख, स्वतंत्रता सेनानी के उत्तराधिकारी, वैज्ञानिक एवं विभिन्न क्षेत्रों के प्रबुद्ध जन उपस्थित थे।

पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा, "विश्वनाथ राय ने सिर्फ स्वंतत्रा संग्राम में ही हिस्सा नहीं लिया, बल्कि स्वतंत्रता के बाद देश के निर्माण में भी अभूतपूर्व योगदान दिया। मेरा सौभाग्य है कि मुझे उनके साथ काम करने का अवसर मिला।"

उन्होंने आगे कहा कि भारत में एक ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल आया था। उस दौरान विश्वनाथ राय से रणबीर सिंह ने खेती के बारे में उनकी राय मांगी, जिसके जवाब में राय ने खेत की एक मुट्ठी मिट्टी उठाकर फसल की पैदावार की जानकारी दी, जिसे देखकर ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल के सदस्य चकित हो गए थे।

विशिष्ट अतिथि मनोज सिन्हा ने कहा, "कर्नल प्रमोद शर्मा द्वारा लिखी गई यह किताब उनके पिता को उनके द्वारा दी गई सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि ऐसा बहुत कम होता है, जब राजनयिक स्तर पर किसी स्वतंत्रता सेनानी पर कोई आयोजन होता है। यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं इस आयोजन में शामिल हुआ।"

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि 80 प्रतिशत स्वंत्रता सेनानी 9 अगस्त, 1942 के महात्मा गांधी के 'करो या मरो' के नारे से जन्मे थे।


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