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पूर्व उपराज्यपालों ने आवास को शिविर कार्यालय बनाकर सरकारी राजस्व को चूना लगाया: कैग

कैग ने अजय कुमार सिंह एवं जगदीश मुखी द्वारा क्रमश: गुरुग्राम और दिल्ली के अपने निजी आवास को शिविर कार्यालय बनाकर सरकारी राजस्व को चूना लगाये जाने का खुलासा किया है।

पूर्व उपराज्यपालों ने आवास को शिविर कार्यालय बनाकर सरकारी राजस्व को चूना लगाया: कैग
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नयी दिल्ली। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह के पूर्व उपराज्यपाल अजय कुमार सिंह एवं जगदीश मुखी द्वारा क्रमश: गुरुग्राम और दिल्ली के अपने निजी आवास को शिविर कार्यालय बनाकर सरकारी राजस्व को चूना लगाये जाने का खुलासा किया है।

कैग ने गत पांच अप्रैल को संसद के दोनों सदनों में इस बाबत अपनी रिपोर्ट पेश की है, जिसमें उसने लिखा है कि दोनों पूर्व उपराज्यपालों द्वारा अपने निजी आवास को कैम्प कार्यालय में बदला गया है, जिसके वे दावेदार नहीं थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र शासित प्रदेश का मामला होने के नाते इसकी जानकारी केद्रीय गृह मंत्रालय को गत वर्ष सितम्बर में दे दी गयी थी, लेकिन दिसम्बर तक इसका जवाब नहीं आया था।

गृह मंत्रालय की ओर से 20 अप्रैल 1987 को जारी पत्र (यू-14016/31/85-यूटीएस) के जरिये यह स्पष्ट किया गया है, “नियुक्तियों की शर्तों में उपराज्यपालों को बिना किसी किराये के भुगतान के पूरी तरह से सुसज्जित आवास उपलब्ध कराने की व्यवस्था है, लेकिन कैम्प कार्यालय स्थापित करने का कोई प्रावधान नहीं है।

कैग ने अपनी जांच रिपोर्ट में खुलासा किया है कि तत्कालीन उपराज्यपाल ले. जनरल (सेवानिवृत्त) अजय कुमार सिंह ने सितम्बर 2013 में अपने गुरुग्राम के सेक्टर 17बी स्थित अपने आवास (हाउस नं. -964) को को इस आधार पर कैम्प कार्यालय घोषित किया था कि दिल्ली प्रवास के दौरान उन्हें कार्यालय के काम निपटाने होंगे। इस निर्णय को पूर्व प्रभाव से (जुलाई 2013 से) लागू किया गया।

सेना के दक्षिणी कमान के पूर्व कमांडर-इन-चीफ ले. जनरल अजय कुमार सिंह ने आठ जुलाई 2013 को उपराज्यपाल का कार्यभार संभाला था। जुलाई 2014 से मई 2016 तक उन्हें पुड्डुचेरी का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था।

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि कैम्प कार्यालय को कर्मचारियों एवं जरूरी चीजों के लिए नयी दिल्ली स्थित अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के स्थानीय आयुक्त कार्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया था और टेलीफोन बिल, अन्य चीजों की मरम्मती के व्यय से लेकर पानी एवं बिजली बिल, वाहनों के खर्चे तथा आउटसोर्स किये गये कर्मचारियों के वेतन तक पर व्यय रकम (23 लाख 18 हजार रुपये) स्थानीय आयुक्त के लिए आवंटित बजट से समायोजित किये गये थे।

यही हाल मुखी के मामले में तब हुआ, जब वह ले. जनरल अजय कुमार सिंह के बाद इस द्वीप समूह का उपराज्यपाल बनकर आये।
मुखी ने भी अगस्त 2016 से अक्टूबर 2017 तक अपने दिल्ली के जनकपुरी स्थित अपने आवास प्रेम कुटीर को कैम्प कार्यालय बनाया और सरकारी राजस्व को छह लाख 27 हजार रुपये का चूना लगाया।मुखी फिलहाल असम के राज्यपाल हैं।

कैग ने इस बात को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया है कि राजधानी दिल्ली में अंडमान निकोबार का 54 बिस्तर का अतिथि गृह होने और उसमें उपराज्यपाल के लिए बेहतरीन रिहाइशी व्यवस्था होने के बावजूद कैम्प कार्यालय बनाया गया।


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