गोवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष शांताराम नाइक का निधन
गोवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और दो बार राज्यसभा सदस्य रह चुके शांताराम नाइक का शनिवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया

पणजी/नई दिल्ली। गोवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और दो बार राज्यसभा सदस्य रह चुके शांताराम नाइक का शनिवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 76 साल के थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी वीणा और पुत्र अर्चित हैं। नाइक अप्रैल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़े थे। अस्पताल ले जाते समय शनिवार को रास्ते में ही उनका निधन हो गया।
नाइक की पत्नी आपराधिक मामलों के चर्चित वकील उज्जवल निकम की बहन हैं। निकम मुंबई के 1993 और 26 नवंबर 2008 के आतंकी हमलों के मुकदमों में विशेष लोक अभियोजक थे।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नाइक के निधन पर शोक जताते हुए कहा, "गोवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष, सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस नेता शांताराम नाइक के निधन के बारे में सुनकर दुखी हूं, जिन्होंने गोवा को राज्य का दर्जा दिलाने की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई।"
राहुल ने ट्वीट कर कहा,"दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदना उनके परिवार के साथ है। उनकी आत्मा को शांति मिले।"
नाइक 2005 से 2011 तक और 2011 से 2017 तक लगातार दो बार राज्यसभा में राज्य का प्रतिनिधित्व किया। वह 1984 में लोकसभा के लिए चुने गए थे।
गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री ल्यूजिन्हो फलेरियो ने आईएएसन को बताया, "शांताराम नाइक ने कांग्रेसी के तौर पर गोवा के विकास और प्रगति में अहम भूमिका निभाई। शांताराम ने आखिरी सांस तक पार्टी के लिए काम किया। वह कुछ महीने पहले तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे। हमने एक महान कांग्रेसी खो दिया है।"
एक राजनीतिज्ञ के रूप में राज्य के लिए नाइक ने सबसे अहम भूमिका गोवा को राज्य का दर्जा दिलाने में निभाई। उन्होंने 1987 में गोवा को राज्य का दर्जा दिलाने का प्रस्ताव लोकसभा में लाया था। उस समय राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे।
गोवा कांग्रेस के प्रवक्ता अमरनाथ पणजीकर ने कहा, 'उनको जीरो आवर का हीरो कहा जाने लगा। गोवा को राज्य का दर्जा दिलाने के साथ-साथ कोंकणी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए भी उनको हमेशा याद किया जाएगा।"
भारतीय जनता पार्टी के नेता और दक्षिण गोवा से सांसद नरेंद्र सवोइकर ने नाइक के अकस्मात निधन पर दुख जताया और कहा, "अलग-अलग दलों के होने के बावजूद एक सहयोगी के तौर पर हम राज्य से संबंधित विभिन्न मसलों पर विचार-विमर्श करते थे।"


