लाखों की लकड़ी बेचकर खा गए वन कर्मचारी
जंगलों में पदस्थ वनरक्षक, वनपाल सहित अन्य कर्मचारियों से वन विभाग को गबन की गई राशि का लाखों रूपए वसूली करना है
बिलासपुर। जंगलों में पदस्थ वनरक्षक, वनपाल सहित अन्य कर्मचारियों से वन विभाग को गबन की गई राशि का लाखों रूपए वसूली करना है। ऐसे दर्जनों प्रकरण अभी लंबित है। ऑडिट के बाद हुए खुलासे के बाद भी विभाग राशि वसूल नहीं कर पा रहा है। ग्राम वनसमितियों के माध्यम से दूरस्थ पदस्थ अधिकारी मनमानी कर अवैध लकड़ी बाजार में खपा रहे हैं साथ ही डिपो में भी लकड़ियों की भारी अफरा-तफरी की जाती है।कई प्रकरण में जांच पूरी होने के बाद भी वसूली नहीं हो पा रही है।
गौरतलब है कि जिले के जंगलों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए ग्राम वन समितियां बनाई गई है वहीं तखतपुर, कोटा, सकरी, रतनपुर व अन्य डिपो में डिप्टी रेंजर स्तर के अधिकारी पदस्थ हैं। जिनका समय-समय में ऑडिट किया जाता है। ऑडिट के खुलासे से ही पता चला कि दर्जनों कर्मचारी अधिकारियों द्वारा लाखों रूपए का गबन किया गया है और कई मामलों में कार्रवाई पूरी हो जाने के बाद भी वसूली नहीं हो पा रही है। कुछ तो सेवानिवृत्त भी हो गए हैं एवं कुछ ने तो प्रमोशन पा लिया है। शासन के उच्चाधिकारियों का दावा है कि उनसे वसूली कर ली जाएगी।
गबन की राशि में 2 हजार से लेकर 8 लाख रूपए तक है और यह वसूली 4-5 वर्षों से लटकी हुई है। एसडीओ न्यायालय में दर्जनों प्रकरण अभी भी चल रहे हैं। ग्राम वन समिति व वनरक्षक वनपाल सहित कई ऐसे आरोपी भी हैं जिन्होंने राशि गबन की है और बेफिक्र हैं। इसे विभाग की मेहरबानी ही कही जा सकती है कि इन लोगों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।
गबन के आरोपियों की पदोन्नति
मामला बिलासपुर वनमंडल का है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सकरी डिपो में कार्यरत तितई राम साहू ने लगभग पांच लाख रूपए की लकड़ी ग्रामीणों को बेच दी और विभाग में राशि जमा नहीं की वहीं तखतपुर डिपो के प्रभारी संतोष गहलोत ने लगभग एक लाख रूपए की लकड़ी बेचकर राशि जमा नहीं की। नियमानुसार दोनों को राशि शासन के खाते में जमा कराना था। इस दौरान तितई राम साहू सेवानिवृत्त हो गए और डिप्टी रेंजर संतोष गहलोत का रेंजर के पद पर प्रमोशन भी हो गया।
समितियों के साथ सांठगांठ
दूरस्थ जंगलों की सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए जिले में लगभग 93 ग्रामवन समितियां बनाई गई लेकिन वनरक्षक, वनपाल, आपस में संठगांव कर जंगल को भारी क्षति पहुंचा रहे हैं। जंगल के भीतर आवागमन के संसाधन बढ़ जाने के कारण इनका काम और भी आसान हो गया है। आसपास के जंगल पेण्ड्रा, कोटा, रतनपुर से काफी अवैध लकड़ी शहर के बाजार में खपाई जा रही है। कार्रवाई के नाम पर सिफ्र खानापूर्ति ही की जा रही है। जंगल की कटाई के साथ-साथ वन्यप्राणियों का शिकार भी हो रहा है।


