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15 वर्षों से गिरौदपुरी मेले में श्रद्धालुओं को नि:शुल्क भोजन खिला रहे खिलावन

  कहते हैं किसी भूखे को खाना खिलाने से बढ़कर कोई पुण्य नहीं है जब किसी भूखे व्यक्ति की भूख मिट कर जब आत्मा तृप्त होती है

15 वर्षों से गिरौदपुरी मेले में श्रद्धालुओं को नि:शुल्क भोजन खिला रहे खिलावन
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खरोरा। कहते हैं किसी भूखे को खाना खिलाने से बढ़कर कोई पुण्य नहीं है जब किसी भूखे व्यक्ति की भूख मिट कर जब आत्मा तृप्त होती है। उसमें जो आशीर्वाद मिलता हैं उससे बड़ा कोई आशीष नहीं हो सकता। जी हां यही कहना है ।खिलावन दास चतुर्वेदी जी का जो विगत 15 सालों से विश्व प्रसिद्ध गिरौदपुरी मेले मे पहुंचने वाले श्रद्धालुओ को नि:स्वार्थ भावना से नि:शुल्क भोजन भंडारे का आयोजन कर लोगों को भोजन खिलाते आ रहे है।

तीन दिवसीय तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध गिरौदपुरी मेले के अवसर पर आज हम ऐसे ही व्यक्ति की बात कर रहे हैं। जिसकी पहल से आज एक ,दो नही बल्कि सैकड़ों जगह गिरौदपुरी मेले में पहुँचने वाले यात्रियों के लिए जगह-जगह भोजन भंडारे का आयोजन हो रहा है तथा इनके प्रेरणास्रोत बनें है।

चतुर्वेदी जी दुर्ग जिले के ग्राम पचपेडी पोस्ट पन्डहोर का रहने वाला है तथा विगत पंद्रह सालों से भैंसा मे निस्वार्थ भाव से भंडारे का आयोजन करते हुए आ रहे हैं। प्रतिनिधि से विशेष बातचीत के दौरान श्री चतुर्वेदी जी ने बताया की जब वे 2001 में अपने गाँव से पैदल चल कल 200 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर जब गिरौदपुरी धाम पहुँचे उस जमाने में कहीं कोई जहग ईस तरह का आयोजन नहीं होता था। उसने सोचा कि मार्ग पर पैदल,सायकल तथा अन्य साधनों पर चलने वाले आगंतुकों के लिए भोजन पानी की जरूरत महसूस हुई तथा नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था करनी चाहिए तब वहीं उन्होंने संकल्प लिया कि जब शरीर में सामर्थ्य रहेगा वे लोगों की सेवा करतें रहेंगे।

तब से लेकर आज तक गिरौदपुरी मेले में पहुँचने वाले यात्रियों के लिए निशुल्क भोजन की व्यवस्था कर अपनी सेवा दे रहे हैं। खिलावन दास ने आगे बताया की जब वे पहले वर्ष भोजन भंडारे की आयोजन की ऊस समय हम केवल कुछ ही लोग थें पर आज निस्वार्थ भाव से कार्य करने के लिए 30 से पैतीस लोग जुड़ चुके हैं तथा अपनी सेवा दे रहे हैं। खिलावन दास अपने गाँव में खेती बाड़ी कर गुजर बसर करते है। तथा एक गरीब परिवार से है।

खिलावन की उम्र आज पचास को होने को है पर इनके हौसले की दाद देनी होगी जहां ऊसे लोगों को खाना खिलाने मे बड़ी आनंद की अनुभूति होती है ।वही इनके पहल से जो अब जगह जगह इस तरह के आयोजन से वे काफी खुश है जो इनके प्रेरणास्रोत बन कर सेवा कर गुरू घासीदास जी बतायें गयें मार्ग -मानव सेवा परम धरम के आदर्श का पालन करतें हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहें हैं। पहले ऐसे व्यक्ति जिसने इस मार्ग पर गिरौदपुरी मेले के दौरान निशुल्क भोजन भंडारे की शुरुआत की। इसके इस पहल से प्रेरित होकर अब गिरौदपुरी मेले के दौरान सैकड़ों जगहों पर इस तरंह नि:शुल्क भोजन पानी की व्यवस्था हो रही है। जब तक शरीर मे सामर्थ्य रहेगा लोगों की सेवा करता रहूँगा।


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