जरूरतमंदों तक भोजन, अस्पतालों के बाहर पीपीईटी बांट जिंदादिली दिखा रहे लोग
कोविड महामारी की चपेट में आने से कई लोग अस्पतालों में भर्ती हैं, तो कई होम आइसोलेशन में हैं। महामारी के दौरान लोग हर तरफ बेबस नजर आ रहे हैं

नई दिल्ली। कोविड महामारी की चपेट में आने से कई लोग अस्पतालों में भर्ती हैं, तो कई होम आइसोलेशन में हैं। महामारी के दौरान लोग हर तरफ बेबस नजर आ रहे हैं। लेकिन कुछ फरिश्ते ऐसे भी हैं, जो दिन-रात लोगों की सेवा करने में जुटे हुए हैं और जिंदादिली होने का परिचय भी दे रहे हैं। ग्रेटर नोएडा निवासी 24 वर्षीय प्रियंका नेगी होम आइसोलेशन में उपचार करा रहे संक्रमित मरीजों को घर का बना हुआ खाना भिजवा रही हैं। प्रियंका बीते अप्रैल महीने में घर के दो सदस्य नानी और मामा को कोविड संक्रमण के कारण खो चुकी हैं।
इस घटना ने प्रियंका को इस कदर प्रभावित किया कि उन्होंने संक्रमित मरीजों की मदद करने की सोच घर तक खाना पहुंचाना शुरू कर दिया। साथ ही एक पर्ची में लिख मरीजों को कुछ न कुछ संदेश भी भेजती हैं, ताकि मनोबल बढ़ा रहे।
इस पहल के बारे में प्रियंका नेगी ने आईएएनएस को बताते हुए कहा, मैंने 28 अप्रैल से इस पहल की शुरुआत की, शुरू में 2 मरीजों के घर खाना भिजवाया था। लेकिन पिछले 12 दिन में 40 से अधिक मरीजों के लिए रोज खाना बना कर भिजवाती हूं।
उन्होंने कहा, जिंदगी में कुछ चीजें काफी प्रभावित कर देती हैं। जब मैंने नानी और मामा के गुजर जाने की खबर सुनी तो मुझे बहुत दुख हुआ। इन मौतों ने मुझे झकझोर दिया। इसके बाद मैंने लोगों की मदद करने की ठान ली।
उन्होंने बताया, अलग अलग ऑनलाइन डिलवरी माध्यम से हम लोगों तक अपने घर का बना खाना पैक कर भिजवाते हैं, क्योंकि मरीजों के लिए खाना पौष्टिक होना चाहिए।
प्रियंका मुंबई में नौकरी करती हैं, लॉकडाउन लगने कारण फिलहाल घर से ही काम कर रही हैं। इस पहल की शुरुआत करने के बाद उनके लिए थोड़ी समस्या बढ़ी है लेकिन वो पूरे जज्बे के साथ लोगों की मदद करने में लगी हुई हैं।
कोरोना महामारी ने आम जन मानस को मानसिक रूप से तोड़ कर दिया है। अपनों को लेकर लोग अस्पतालों की ओर भाग रहे हैं। इनकी मदद करने के लिए कई एजीओ सामने भी आए हैं।
अस्पतालों के बाहर न जाने कितने परिजन अपने मरीज के लिए बैठे हुए हैं, जो संक्रमण का डर भूल अस्पताल के बाहर ही फुटपाथ पर बैठ वक्त बिताते नजर आ जाते हैं।
हालांकि कुछ एजीओ अस्पतालों के बाहर खड़े मरीज के परिजनों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए पीपीईटी किट बांट रहे हैं।
टायसिया फाउंडेशन की ओर से दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल के बाहर खड़े लोगों को मास्क और पीपीईटी बांटी गई। फाउंडेशन से जुड़े संजू ने आईएएनएस को बताया, हमारी तरफ से लोगों को फ्री मास्क और पीपीईटी किट बांटी जा रही है। हम पिछले एक महीने यह काम कर रहे हैं। साथ ही हम जरूरतमंद लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर की भी सहायता कर रहे हैं।
हालांकि इस फाउंडेशन की ओर से अस्पताल के बाहर ऑटो को खड़ा किया है, जिसके अंदर ऑक्सीजन सिलेंडर लगा हुआ है, ताकि कोई गंभीर मरीज को तुरंत एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचा सके।
संजू के अनुसार, अब तक करीब एक हजार लोगों की मदद किया जा चुका है। वहीं दिल्ली के अलावा आस के इलाकों से भी जो लोग मदद मांगते हैं, उनकी भी सहायता की जाती है।
कोरोना महामारी में जो बीमार हुए वो तो परेशान हुए ही, लेकिन कुछ ऐसे तबके के लोग भी परेशान हुए जो कि रोज कमाकर खाते हैं। हालांकि इन लोगों के लिए भी कुछ लोग सामने आए हैं जो उन्हें राशन से लेकर दवाइयों की सुविधा मुहैया करा रहे हैं।
दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ियां में रहने वाले लोग, किन्नर समाज और एचआईवी पॉजिटिव लोगों तक मदद का हाथ बढ़ाया जा रहा है, ताकि इस महामारी में लोग कम प्रभावित हों।
मील फॉर हैप्पीनेस एजीओ संचालक करने वाली आंचल शर्मा कैंसर पीड़िता हैं जो इस महामारी में उन लोगों तक मदद पहुंचा रही हैं जो की महामारी के काफी प्रभावित हुए हैं।
आंचल के अनुसार, 15 दिन का राशन इन सभी लोगों तक पहुंचाते हैं। इसके अलावा उन लोगों की भी मदद कर रही हैं, जिनके पास कागज पूरे न होने के कारण सरकारी मदद नहीं पहुंच पा रही है।
मिल्स फॉर हैप्पीनेस संचालक आंचल शर्मा ने आईएएनएस को बताया, हम पिछले साल से ही कोरोना प्रभावित लोगों की मदद कर रहे हैं खाना भिजवा कर, इसके साथ साथ हमने इस बार झुग्गी झोंपड़ी में रहने वाले लोगों के लिए जागरूक अभियान चलाया हुआ है। साथ ही अपने वोलेंटियर्स द्वारा हम स्लम्स में रहने वाले लोगों को दवाइयां मुहैया करा रहे हैं।
झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों में कोरोना लक्षण दिखने के बाद हम ऑनलाइन माध्यम से उनको डॉक्टर्स के साथ जोड़ेंगे और उनका इलाज कराएंगे। हमने ऑक्सिमीटर रखे हुए हैं ताकि उनके संबंधित डॉक्टरों को सही जानकारी पहुंच सके।
यदि किसी व्यक्ति को लगेगा कि उसको होम आइसोलेट करना है तो हम उनको खाना और दवाई उनके घर तक पहुंचाएंगे। उस व्यक्ति का इलाज सही से हो सके, इसलिए हमने वोलेंटियर्स उन्ही के बीच से चुने हुए हैं।
इसके अलावा हम किन्नर समाज, एचआईवी पॉजिटिव लोगों की भी मदद कर रहे हैं। हमने एक सूची तैयार की है जिनमें इन सभी लोगों के नाम शामिल है। हम इनके घर तक इनकी मदद पहुचाने का काम कर रहे हैं।
किसी ने सच ही कहा है, इंसानियत बहुत चीज होती है और इस महामारी में इंसानियत मरती हुई भी दिखाई दी, लेकिन कुछ लोगों की अच्छी सोच और लोगों तक मदद पहुचाने के जज्बे ने सबको विचारों को पीछे रख ये बता दिया है कि इंसानियत अभी जिंदा है।


