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वायनाड में बाढ़ और भूस्खलन से भारी तबाही

केरल के वायनाड में भारी बारिश के बाद तीन स्थानों पर भूस्खलन की वजह से कम से कम 63 लोगों की जान चली गई है. सैकड़ों लोग लापता हैं और मरने वालों की संख्या के बढ़ने की आशंका है

वायनाड में बाढ़ और भूस्खलन से भारी तबाही
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केरल के वायनाड में भारी बारिश के बाद तीन स्थानों पर भूस्खलन की वजह से कम से कम 63 लोगों की जान चली गई है. सैकड़ों लोग लापता हैं और मरने वालों की संख्या के बढ़ने की आशंका है.

वायनाड में तीन जगहों पर भूस्खलन रात दो बजे से सुबह छह बजे के बीच हुआ. भूस्खलन की वजह से कई घर, दुकानें और गाड़ियां मलबे के ढेर में दब गए. कई लोग इस इलाके से गुजरने वाली चलियार नदी में बह गए. वायनाड से आ रही रिपोर्टों के मुताबिक इस प्राकृतिक आपदा के कारण कई गांव अलग थलग हो चुके हैं और बड़ी संख्या में लोग लापता हैं.

आपदा एजेंसियां राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं, लेकिन पहाड़ी इलाका होने की वजह से और लगातार बारिश के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा आ रही है.

राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (एनडीआरएफ), केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और कन्नूर डिफेंस सुरक्षा कोर जैसी एजेंसियां राहत और बचाव कार्य करने की कोशिश कर रही हैं. राज्य सरकार ने कहा है कि सेना और वायुसेना से भी मदद मांगी गई है.

मुंडाक्कई इलाके को आस पड़ोस के इलाकों से जोड़ने वाला एकलौता पुल भी टूट गया है, जिसकी वजह से भी राहत कार्य में बाधा आ रही है. मुंडाक्कई की ही एक निवासी मीनाथ ने वेबसाइट को बताया कि वहां एक मदरसे के पास स्थित एक पहाड़ी पर करीब 150 लोग फंसे हुए हैं.

राहत कार्य के बीच केंद्र सरकार ने प्रभावित परिवारों की आर्थिक मदद की भी घोषणा की है. मृतकों के परिवार के निकटतम सदस्य को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये देने की घोषणा की गई है. केरल में सन 2018 में भीषण बाढ़ और भूस्खलन की आपदाएं हुईं थी. तब करीब 500 लोगों की मौत हुई.

खतरे का संकेत है केरल में बाढ़ की तबाही

केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने एक्स पर बताया कि राज्य सरकार के पांच मंत्रियों के एक प्रतिनिधिमंडल को वायनाड की स्थिति पर नजर रखने और राहत कार्य का निरीक्षण करने की जिम्मेदारी दी गई है.

वायनाड के कई इलाकों से संपर्क कटा

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मुंडाक्कई में खराब मौसम की वजह से वायु सेना के हेलीकॉप्टर उतर नहीं पाए. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस समय इस इलाके में राहत कार्य में कितनी दिक्कत आ रही है.

दन्यूजमिनट वेबसाइट के मुताबिक भूस्खलन से बचने के लिए हैरीसंस मलयालम चाय बागान में करीब 700 लोगों ने शरण ली थी. वो लोग अभी भी वहीं फंसे हुए हैं.

वायनाड के जिला पंचायत अध्यक्ष शमशाद मरक्कार ने दन्यूजमिनट को बताया कि मुंडाक्कई में एक अस्पताल भी पूरी तरह से बह गया है और वहां अभी तक कोई भी बचाव और राहत टीम नहीं पहुंच पाई है.

उन्होंने बताया कि ये लोग आधी रात करीब 1.45 बजे पहले भूस्खलन की आवाज सुन कर अपने घरों से भाग कर पहाड़ी पर चले गए थे. फंसे हुए लोगों में अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं. मीनाथ ने बताया कि कम से कम 50 मकानों को नुकसान पहुंचा है.


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