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ओडीओपी के कॉमन फैसिलिटी सेंटर से उड़ेगी हुनर की उड़ान

वोकल फॉर लोकल, एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजक्ट है, इस प्रोजेक्ट को पंख लगाने की मुकम्मल तैयारी शुरू हो चुकी है।

ओडीओपी के कॉमन फैसिलिटी सेंटर से उड़ेगी हुनर की उड़ान
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लखनऊ | वोकल फॉर लोकल, एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजक्ट है, इस प्रोजेक्ट को पंख लगाने की मुकम्मल तैयारी शुरू हो चुकी है। इसमें कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। सरकार की मंशा हर जिले में एक कॉमन फैसिलिटी सेंटर स्थापित करने की है। फिलहाल सरकार ने 14 ऐसे केंद्रों के स्थापना की मंजूरी दी है। इनमें 92 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी। 17 और केंद्र पाइपलाइन में हैं।

इनके केंद्रों में ओडीओपी से जुड़े उद्यमियों हुनरमंदों की सारी समस्याओं (टेस्टिंग लैब, डिजाइन डेवलपमेंट सेंटर, कच्चा माल, कॉमन प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग, लॉजिस्टिक, पैकेजिंग, लेवलिंग और बारकोडिंग आदि की सुविधा) का समाधान होगा। ऐसे किसी केंद्र की स्थापना में सरकार लागत का 90 फीसद वहन करेगी। बाकी खर्च संबंधित एसपीवी को उठाना होगा। एक केंद्र की अधिकतम लागत 15 करोड़ रुपये तक होगी।

मालूम हो कि ओडीओपी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर शुरू की गयी देश की अभिनव योजना है। इसका मकसद स्थानीय एवं परंपरागत उत्पादों एवं हुनर को निखार प्रदेश में स्थानीय स्तर पर आर्थिक खुशहाली और प्रदेश की सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों का विकास है। ऐसा होने पर स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिलेगा। प्रदेश के हर व्यक्ति परिवार और समाज का संतुलित विकास होगा और श्रम एवं हुनर का पलायन रुकेगा।

हर जिले का एक्शन प्लान बनाकर वहां के उद्यमियों की समस्याओं को दूर किया जा रहा है। अब तक जो समस्या चिन्हित की गई हैं, उनमें पूंजी की कमी, परंपरागत पुरानी तकनीक, बाजार के बारे में कम समझ और उत्पादों की बेहतर पैकेजिंग आदि प्रमुख हैं। सरकार क्रमश हर समस्या का समाधान कर रही है। मसलन पूंजी की कमी को दूर करने के लिए सरकार बड़ी मात्रा में ओडीओपी से जुड़ी एमएसएमई इकाईयों को बड़े पैमाने पर उदार शतोर्ं पर लोन दे रही है।

अभी हाल ही में करीब 57 हजार उद्यमियों को दो हजार करोड़ रुपये का ऋण दिया। इसी तरह के मेगा लोन मेला जून, जुलाई और अगस्त में भी आयोजित होंगे। इसके अलावा भी पीएमजीपी, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार, ओडीओपी वित्त पोषण, मुद्रा, स्टार्टअप और स्टैंडअप जैसी प्रदेश और केंद्र सरकार की योजनाओं के जरिए ओडीओपी से जुड़ी इकाईयों का वित्त पोषण किया जा रहा है।

इस क्रम में वित्तीय वर्ष 2018-19 में भी कुल 57 हजार करोड़ रुपये के ऋण बांटे गये। सरकार ने इस बाबत बैंक ऑफ बड़ौदा से एमओयू भी किया है। शेयर बाजार से ये इकाईयां पूंजी एकत्र कर सकें इसके लिए एनएसई और बीएसई से भी समझौता किया गया है। वेंचर कैपिटल फंड के लिए इसी तरह का समझौता सिडबी से भी किया गया है। उत्पादों की गुणवत्ता, बेहतर डिजाइनिंग और पैकेजिंग के लिए आईआईटी कानपुर, एकेटीयू, आईआईआईटी इलाहाबाद, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग, निट, एनआईडी, क्यूसीआई से भी समझौते किये गये हैं।

उत्पादकों को प्रतिस्पर्धी बाजार में अपने उत्पाद के वाजिब दाम मिलें इसके लिए राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनियों में जाने के लिए रियायतों के प्रावधान किए गये हैं। ऑनलाइन बाजार चलन के मद्देनजर अमेजन से समझौता हो चुका है, फ्लिपकार्ट और अलीबाबा से भी समझौते की प्रक्रिया जारी है।

सीएफसी की मंजूरी मिलने वाले जिले आजमगढ़, उन्नाव, सिद्घार्थनगर, संभल, अंबेडकरनगर, आगरा, मुरादाबाद, बरेली, सहारनपुर, लखनऊ , वाराणसी, अलीगढ,़

सीतापुर हैं।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने कहा, "ओडीओपी को प्रोत्साहित करने के लिए हर जिले का एक्शन प्लान बनाकर वहां के उद्यमियों की समस्याओं को दूर किया जा रहा है। अब तक जो समस्याएं चिन्हित की गई हैं उनमें पूंजी की कमी, परंपरागत पुरानी तकनीक, बाजार के बारे में कम समझ और उत्पादों की बेहतर पैकेजिंग आदि प्रमुख हैं। सरकार क्रमश: हर समस्या का समाधान कर रही है।"


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