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फ्लैट मिल भी जाए लेकिन उनमें रहना जान जोखिम में डालने जैसा

शहर में घर न मिलने से नाराज जहां एक तरफ लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं

फ्लैट मिल भी जाए लेकिन उनमें रहना जान जोखिम में डालने जैसा
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नोएडा। शहर में घर न मिलने से नाराज जहां एक तरफ लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बिल्डरों को एनसीएलटी द्वारा दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया में डाला जा रहा है। इन बिल्डरों के प्रोजेक्टों कुछ ऐसे भी है जो कई साल से काम बंद पड़े हैं। जिससे बिल्डिंगों की मजबूती पर भी असर पड़ रहा है। इससे अब खरीदार को भी घर न मिलने के साथ-साथ बिल्डिगों की खस्ता हालत की भी चिंता होने लगी है। यहां यह भी साफ है कि जिन खरीदारों को फ्लैटों पर कब्जा मिला है वह लगातार प्राधिकरण से घटिया निर्माण सामग्री लगाने की शिकायत करते आ रहे है।

दरअसल, कई साल से बिल्डरों के अधूरे परियोजनाओं में काम नहीं हुआ है और मरम्मत का कार्य भी नहीं होने से इन बिल्डिंगों की मजबूती भी समय के साथ-साथ खत्म होती जा रही है। वहीं अब खरीदार को भी इसकी चिंता सताने लगी है कि यदि कई साल बाद उन्हें मकान मिल भी जाते हैं तो वह भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा में स्थिर रहेंगे या नहीं। दरसअल, जेपी के बाद अब आम्रपाली इंफ्रास्ट्रक्चर व आम्रपाली अल्ट्राहोम्स के खिलाफ एनसीएलटी ने दीवालियापन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

इस समूह में कुल 40 हजार खरीदार है। जिसमे महज 7 हजार खरीदारों को अभी तक फ्लैटों पर कब्जा मिला है। सालों से इस समूह के प्रोजेक्ट बंद पड़े है। इनमें निर्माण कार्य नहीं किया जा रहा। इस स्थिति में यदि वह निर्माण कार्य पूरा कर खरीदारों को कब्जा दे भी देते है तो गुणवत्ता का क्या भरोसा। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के अधिकारी ने बताया कि सिसमिक जोन-4 में आने से शहर डेंजर जोन में आता है।

यहा भूकंप का एक तेज झटका प्रोजेक्टों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। हालांकि बिल्डर द्वारा बांटे गए पंपलेट के अनुसार यहा जितनी भी बिल्डिंगों का निर्माण किया गया है वह भूकंप रोधी है। लेकिन जिस तरह से प्राधिकरण में शिकायतों का अंबार लगा है।


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