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पहली मोबाइल लोक अदालत ने पक्षकारों के घर पहुंच दिलाया न्याय, 10 हजार मामलों का निराकरण

छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में इस साल की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत में पक्षकारों के घर पहुंच कर उन्हें न्याय दिलाया गया है

पहली मोबाइल लोक अदालत ने पक्षकारों के घर पहुंच दिलाया न्याय, 10 हजार मामलों का निराकरण
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नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में इस साल की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत में पक्षकारों के घर पहुंच कर उन्हें न्याय दिलाया गया है। शनिवार को लगे लोक अदालत में 10 हजार मामलों का निराकरण आपसी सुलह समझौते से किया गया। खास बात ये है कि पहली बार कोरोना महामारी एक्ट के तहत दर्ज किए गए प्रकरणों की भी सुनवाई की गई।

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ के खंड स्तर से लेकर छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट स्तर तक सभी न्यायालयों में नेशनल लोक अदालत में सुनवाई की गई। इसमें राजीनामा योग्य प्रकरणों को पक्षकारों की आपसी सुलह समझौता से निराकृत किया गया। लोक अदालत प्रकरणों का निराकरण पक्षकारों की भौतिक अथवा वर्चुअल उपस्थिति में किया गया।

न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, एवं कार्यपालक अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के निर्देशानुसार उक्त लोक अदालत हेतु प्रत्येक जिलों को मजिस्ट्रेट की स्पेशल सिटिंग की शक्ति प्रदान दी गई थी, छोटे-छोटे मामलों में पक्षकारों की स्वीकृति के आधार पर निराकृत किए गए।

इसके अतिरिक्त विशेष प्रकरणों जैसे धारा 321 दप्रस, 258 दप्रसं एवं पेट्टी आफेंन्स के प्रकरणों तथा कोरोना काल में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अतर्गत दर्ज प्रकरणों का भी निराकरण किये गया। ऐसे मामले जो अभी न्यायालय में प्रस्तुत नहीं हुए थे, उन्हें भी प्री-लिटिगेशन प्रकरणों के रूप में पक्षकारों की आपसी समझौते के आधार पर निराकृत किया गया।

इसी प्रकार छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के द्वारा उक्त नेशनल लोक अदालत में 4 खण्डपीठों के द्वारा कुल 123 प्रकरणों का निराकरण किया गया, जिसमें मोटर दुर्घटना के 103 प्रकरणों का निराकरण करते हुए 2 करोड़ 39 लाख 90 हजार 840 रूपए का अवार्ड पारित किया गया है।

वहीं देश की पहली मोबाइल लोक अदालत को आयोजित करते हुए विभागों जिलों के जिला न्यायालय में लंबित 7 प्रकरणों को मोबाइल लोक अदालत वैन के माध्यम से पक्षकारों के घर पहुंचकर प्रकरणों को आपसी सुलह के द्वारा निराकरण किया गया।

इन मामलों में दिव्यांग, बीमार और वृद्ध होने के कारण न्यायालय में उपस्थित नहीं हो पा रहे थे, जिनके प्रकरणों के निराकरण हेतु मोबाइल लोक अदालत वैन उनके पास तक पहुंची एवं प्रकरणों का निराकरण की कार्यवाही पूर्ण की गई।

रोड एक्सीडेंट के एक मामले में 78 वर्ष के बुजुर्ग पक्षकार, अली असगर अजीज को न्यायालय आने में परेशानी थी। उनकी परेशानी को देखते हुये प्राधिकरण ने दो पैरा वालंटियर्स को उनके पास भेजा और उन पैरालीगल वालंटियर्स ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से निशक्त पक्षकार अली असगर को उपस्थित कराया। राजीनामा के उपरांत मामला समाप्त किया।

इसी तरह चेक बाउंस के एक अन्य मामले में पक्षकार के दुर्घटना के शिकार होने पर प्राधिकरण ने पैरा वालंटियर्स को वाहन सहित उनके घर भेजा और उनकी इच्छा के अनुसार उन्हें न्यायालय लेकर आ गये और डा. सुमित सोनी के न्यायालय में उन्होंने चेक प्रदान किया और राजीनामा के माध्यम से यह मामला भी खत्म हुआ। वहीं सरगुजा जिले के 40 वर्ष पुराने भूमि संबंधी विवाद का निराकरण लोक अदालत में किया गया।


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