वादे को अमल में लाने के पहले मुकरे मुख्यमंत्री: कांग्रेस
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की राशि में 50 हजार रुपये तक किये जाने का प्रावधान कर घोषणा की गई
रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की राशि में 50 हजार रुपये तक किये जाने का प्रावधान कर घोषणा की गई। बाद में उक्त घोषणा के अमल में लाने से पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री वादे से मुकर गये और घोषणा की राशि का टेंडर निरस्त कर दिया जो इस प्रदेश के लाखों परिवारों के साथ एक धोखा है इससे सरकार की विश्वसनीयता पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।
उक्ताशय की जानकारी एक पत्रकार वार्ता में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी में चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने दी। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की स्मार्ट योजना में पैकेज की राशि प्रति परिवार तीस हजार रुपये वार्षिक से पचास हजार रुपये किये जाने की घोषणा और पूरी टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद ऐन लागू होने के दिन 1 जुलाई को ही मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री डॉ. रमन सिंह के विभाग द्वारा टेंडर रद्द कर पुन: 30000 रुपये प्रति परिवार किये जाने की कड़ी निंदा की है। छत्तीसगढ़ के किसानों को धान बोनस दिए जाने जैसे खोखले वादों और धोखेबाजों की तरह जनता के स्वास्थ्य से समझौता और खिलवाड़ किये जाने वाली धोखाधड़ी और जालसाजी बताते हुए उन्होंने कहा है कि इससे यह साफ हो गया है कि सरकार को अब अपनी विश्वसनीयता की भी कोई परवाह नहीं रह गयी है।
उन्होंने यह साफ किया है कि पिछले 8 वर्षों पूर्व यूपीए सरकार की गरीबी रेखा में जीवन यापन करने वाले परिवारों को स्वास्थ्य सेवाएं मुफ्त में उपलब्ध कराने की दृष्टि से छत्तीसगढ़ राज्य में इसे लागू किया गया है, इस योजना में निजी क्षेत्र की उत्कृष्ट भागीदारी और सहयोग से राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में राज्य एक नोडल राज्य बन गया है। पिछले दो वर्षों से राज्य के मुखिया अलग-अलग मंचों से प्रति परिवार इसकी राशि को बढ़ाकर 30000 से 50000 करने की घोषणा करते रहे है।
इस वर्ष इसे अमल में लाने के लिए स्वास्थ्य और वित्त विभाग के अधिकारियों सहित मुख्यमंत्री ने भी समीक्षा बैठकें की थीं। इसके अंतर्गत शासकीय नियमों का पालन करते हुए 50 हजार रुपये प्रति परिवार की दर से टेंडर प्रक्रियाएं भी संपन्न हो गयी टेंडर में भाग लेने वाली कंपनियों के नाम और रेट भी सामने आये। सबसे आश्चर्यजनक और दुख की बात ये है कि लंबी कसरतों और सरकारी घोषणाओं के बाद टेंडर हुआ बढ़े पैकेज बनाये गये और स्वास्थ्य विभाग को प्रति परिवार 50 हजार रुपये की दर से बढ़े पैकेज की मंजूरी नहीं मिली। सरकार की ओर से कोई भी इसका उत्तर देने की स्थिति में नहीं है।


