मोदी कंपनी के मालिकों पर एफआईआर के आदेश
जमीन का गलत उपयोग करने एवं बेचने के आरोप में अब मैसर्स मोदीपॉन कंपनी के मालिकों पर कानूनी शिकंजा कसने जा रहा है

गाजियाबाद। जमीन का गलत उपयोग करने एवं बेचने के आरोप में अब मैसर्स मोदीपॉन कंपनी के मालिकों पर कानूनी शिकंजा कसने जा रहा है। जिलाधिकारी गाजियाबाद की जांच रिपोर्ट के आधार पर मेरठ के मंडलायुक्त प्रभात कुमार ने इस कंपनी के मालिकों पर की जाने वाली कार्रवाई की संस्तुति मुख्यमंत्री को कर दी है।
10 कारखानों को बंद करने व कर्मचारियों का बकाया ने देने के चलते जमीन को सरकार के खाते में निहित करने की कार्रवाई भी तय हो गई है। इतना ही नहीं जमीन पर आवासीय कॉलोनी विकसित करने की अलग से जांच बैठा दी गई है। यह कार्रवाई प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिीकरण मंत्री ओमप्रकाश राजभर की शिकायत पर की जा रही है। श्किायत में तीन बिन्दुओं पर जांच कराने का अनुरोध किया गया था। बिन्दु एक के अनुसार महेन्द्र कुमार मोदी एवं इनके बेटे मनीष कुमार मोदी पिछले दस वर्षो के अन्दर करीब 250 करोड़ की सरकारी जमीन व सरकारी आवास बेच चुके है।
आगे भी 1000 करोड़ की सरकारी जमीन बेचने का इरादा है। जांच में पाया गया कि मौके पर 256818 वर्ग मीटर जमीन पूरी तरह से रिक्त पाई गई। 8400 वर्ग मीटर पर कार्यालय परिसर है। इसका कोई औधोगिक उपयोग नहीं हो रहा है। बता दें कि प्रदेश के उधोग विभाग द्वारा 18 नवम्बर 1965 को जारी की गई अधिसूचना के तहत 125.8185 एकड जमीन मैसर्स मोदी स्पिनिंग एण्ड वीविंग कंपनी लिमिटिड को नाईलोन यार्न तथा अन्य सिंथैटिक फाइबर बनाने के लिए फैक्ट्री व उनके कर्मचारियों के लिए आवास के लिए गांव बेगमाबाद बुदाना, बिसोखर, औरंगाबाद गदाना में दी गई।
रिपोर्ट में पाया गया कि जमीन गलत तरीके से बेची गई है। दस कंपनियां गलत ईरादे से बंद की गई है। औधोगिक उपयोग की जमीन पर कॉलोनी गलत तरीके से विकसित की गई है। जमीन बेचकर पैसे का गलत व निजि इस्तेमाल किया गया है। इसके लिए विशेष ऑडिट दल गठित किए जाने की संस्तुति की गई है।
रिपोर्ट में सरकारी जमीन बेचने व खरीदने वालों को दोषी पाया गया है। इनमें बिजेन्द्र कुमार एमडी प्रमोटर मेरठ, ब्रिक्स एंड होम कम्पनी के मालिक अमित ग्रोवर व अंकित ग्रोवर और प्रदीप कंसल कांग्रेस के तथाकथित सचिव को दोषी पाया गया है। इनके खिलाफ आईपीसी की संगत धाराओं में एफआईआर की संस्तुति की गई है। खाली पड़ी जमीन को तत्काल सरकारी खाते में दर्ज करने के ओदश जारी किए गए है।


