Top
Begin typing your search above and press return to search.

आखिरकार बेटे के ही पक्ष में फिर खड़े दिखे मुलायम

पुत्र और भाई के बीच मुलायम सिंह यादव इस कदर पिस रहे हैं कि वह खुद ही समझ नहीं पा रहे कि उन्हें क्या करना चाहिए

आखिरकार बेटे के ही पक्ष में फिर खड़े दिखे मुलायम
X

- रतिभान त्रिपाठी

लखनऊ। पुत्र और भाई के बीच मुलायम सिंह यादव इस कदर पिस रहे हैं कि वह खुद ही समझ नहीं पा रहे कि उन्हें क्या करना चाहिए। किसके पक्ष में और क्या बोलना चाहिए, क्या नहीं बोलना चाहिए। इस ऊहापोह के बादजूद भाई के मुकाबले पुत्रमोह भारी पड़ा। अखिलेश यादव को बहुत कोसा, फैसलों पर असहमति जताई पर आखिरकार एक बार फिर अपने उनके के पक्ष में खड़े दिखे। सोमवार को राजधानी लखनऊ में जो नाटकीय घटनाक्रम हुआ, कम से कम वह इस बात की गवाही तो दे ही रहा है। समाजवादी पार्टी आखिरकार टूटते टूटते फिलहाल बच गई। स्क्रिप्ट तैयार थी।

पार्टी के संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव को वह स्क्रिप्ट पढ़नी थी लेकिन न जाने उनके दिमाग में कौन से खयाल आए कि ऐन वक्त पर स्क्रिप्ट पढ़ने से उन्होने इनकार कर दिया। हालांकि पूरे हालात और बेटे के व्यवहार से वह इस कदर व्यथित थे कि वह बात जो चुनाव के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कही थी, वह खुद कहने से नहीं चूके। मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश के बारे में सरेआम कहा कि जिस व्यक्ति ने अपने बाप को धोखा दिया है उस पर जनता क्या विश्वास करेगी। दो तीन दिनों से इस तरह की बातें छन-छनकर आ रही थीं कि सोमवार को एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस होगी, जिसे मुलायम सिंह यादव और उनके भाई शिवपाल सिंह यादव संयुक्त रूप से संबोधित करेंगे। नई पार्टी बनेगी। इसके लिए बाकायदा एक स्क्रिप्ट लिखी गई थी, जिसे मुलायम सिंह यादव को बांचना भर था। सूत्रों की मानें तो वह स्क्रिप्ट शिवपाल सिंह यादव के निर्देश पर समाजवादी पार्टी से निकाले गए एक नेता ने लिखी थी। मुलायम सिंह यादव उसे बांटने पर सहमत भी थे। आज प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गई। पर उसमें सिर्फ मुलायम सिंह यादव ही पहुंचे, शिवपाल नहीं। जानने वाले बताते हैं कि स्क्रिप्ट बांचने को लेकर मुलायम सिंह यादव भीतर से हिल गए थे।

संभवत: उनका पुत्रमोह जाग उठा था या फिर उस पार्टी के दो फांट हो जाने का दर्द उन्हें भीतर ही भीतर कचोट रहा था। कहा जाता है कि प्रेस कांफ्रेंस से पहले शिवपाल सिंह यादव ने मुलायम सिंह यादव को फोन करके पूछा कि आप वह कागज तो पढ़ेंगे ना। इस पर मुलायम सिंह यादव ने कह दिया पढ़ेंगे पर आज नहीं। इस पर शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि फिर तो मैं प्रेस कांफ्रेंस में नहीं आऊंगा। इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने अकेले ही मीडिया को संबोधित किया। शुरुआत उन्होंने बनारस की घटना से की और यूपी सरकार की लानत-मलानत की। फिर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की। कहा, तीन साल में इस सरकार ने कुछ भी नहीं किया। पेट्रोल के दाम बढ़ाए हैं। मीडिया को इन बातों में खास दिलचस्पी नहीं थी, सो झट से उस मुद्दे पर सवाल दागा जो आग का गोला हो सकता था। हुआ भी।

मुलायम सिंह ने कहा कि अखिलेश मेरे बेटे हैं इसलिए उनको मेरा आर्शीवाद जरूर है लेकिन मैं उनके फैसलों से सहमत नहीं हूं। यह पूछने पर कि उन्होने तो आपको फिर से पार्टी अध्यक्ष बनाने की बात कही थी, तो बोले, जिस व्यक्ति ने अपने बाप को धोखा दिया, उस पर जनता क्या विश्वास करेगी।

हालांकि नई पार्टी बनाने के सवाल पर उन्होंने साफ कहा कि वह किसी भी तरह की नई पार्टी नहीं बनाने जा रहे। शिवपाल के बारे में वह यह कहना नहीं भूले कि इस प्रेस कांफ्रस में उन्हें भी आना था लेकिन वह इटावा चले गए। मुलायम सिंह यादव की इस सफाइ का मतलब साफ था कि भाई से वह मतभेद वाली बात इस वक्त वह सार्वजनिक नहीं करना चाह रहे थे। संभवत: यही वजह रही कि मुलायम सिंह यादव की प्रेस कांफ्रेंस पूरी होते ही अखिलेश यादव ने ट्वीट किया। नेताजी जिंदाबाद, समाजवादी पार्टी जिंदाबाद।

उनके इस ट्वीट का निहितार्थ यही निकाला गया कि अखिलेश ने खुशी में यह बात लिखी है कि मुझे कोसने के बाद भी मेरे पिता ने एक बार फिर मेरा बचाव किया। नई पार्टी बनाने की घोषणा नहीं की। गौरतलब है कि इसी साल पहली जनवरी को अखिलेश यादव ने आनन-फानन राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाकर सपा की कमाने अपने हाथों ले ली थी। हालांकि बाद में उन्होंने यह भी कहा था कि विधानसभा चुनाव जीतने के बाद समाजवादी पार्टी की कमान फिर अपने पिता को सौंप देेंगे लेकिन बाद में अपनी बात से पलट गए। इसी के बाद से मुलायम सिंह और शिवपाल, दोनों अखिलेश पर लगातार शाब्दिक हमले कर रहे हैं। पलटबयानी करते हुए अखिलेश यादव ने दो दिन पहले शिवपाल यादव पर निशाना साधा और राज्य सम्मेलन में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा था कि वह नकली समाजवादियों से सावधान रहें।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it