असम में एनआरसी की अंतिम सूची जारी, 3.11 करोड़ लोग शामिल
असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची शनिवार को जारी कर दी गई जिसमें 19 लाख से अधिक लोगों को जगह नहीं मिली

गुवाहाटी। असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची शनिवार को जारी कर दी गई जिसमें 19 लाख से अधिक लोगों को जगह नहीं मिली है।
एनआरसी की सूची में शामिल होने के लिए आवेदन करने वाले 3.30 करोड़ से अधिक आवेदकों में से 3.11 करोड़ से अधिक लोगों को एनआरसी की अंतिम सूची में जगह मिली है।
एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला ने एक प्रेस वक्तव्य जारी कर कहा, “ एनआरसी की अंतिम सूची में शामिल होने के लिए कुल 3,11,21,004 लोगों को योग्य पाया गया जबकि अपनी नागरिकता के संबंध में आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत न कर पाने वाले 19,06,657 लोगों को इस सूची से बाहर रखा गया है।” एनआरसी के लिए आवेदन की प्रक्रिया मई 2015 में शुरू हुई थी जो 31 अगस्त 2015 तक चली।
उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की पहली सूची 31 दिसंबर 2017 को तैयार हुई थी जिसे 30 जुलाई 2018 को प्रकाशित किया गया था। इस सूची में 2,89,83,677 लोगों को शामिल किया गया था। सूची से बाहर रखे जाने को लेकर 36,26,630 लोगों ने शिकायत की थी।
एनआरसी की सूची में शामिल किए जाने के लिए नागरिकों के पंजीकरण एवं राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी किए जाने के नियम 2003 के तहत लोगों के दस्तावेजों की जांच की गई। इसके अलावा 26 जून 2019 को एक अतिरिक्त सूची जारी की गई थी जिसमें 1,02,462 लोगों को बाहर रखा गया था।
असम में एनआरसी की प्रक्रिया उच्चतम न्यायालय की निगरानी में चल रही है। इस कार्य में राज्य सरकार के 52 हजार से कर्मचारी लगे हुए हैं और इस पर 1200 कराेड रूपए खर्च आने का अनुमान है। एनआरसी की पूरी प्रक्रिया सतर्कता के साथ पारदर्शी ढंग से की जा रही है। प्रक्रिया के हर स्तर पर लोगों काे अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जा रहा है।
एनआरसी की अंतिम सूची आने पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
सोनोवाल ने टि्वटर पर एक वीडियो जारी कर कहा, “ एनआरसी की सूची में नाम नहीं आने वाले लोगों को बिलकुल भी घबराने की जरुरत नहीं है क्योंकि गृह मंत्रालय ने पहले ही यह सुनिश्चित कर दिया है कि जिनका नाम इस सूची में नहीं होगा उन्हें संबंधित न्यायाधीकरण (फॉरेन ट्रायब्यूनल) में जाकर अपील करने का अधिकार होगा। इस मामले में सरकार की ओर से उनकी हरसंभव मदद की जाएगी।”
सोनोवाल ने कहा, “ फॉरेन ट्रायब्यूनल में अपील करने का समय अब बढ़ाकर 60 दिनों की बजाए 120 दिन कर दिया गया है, ऐसे में सभी लोग शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखें।”


