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फिल्म रिव्यु -  दबंग 3 

सलमान खान एक ऐसा स्टार है जिसके लिए दर्शकों को किसी कहानी, किसी स्क्रीनप्ले या किसी हीरोइन की ज़रूरत नहीं होती वह सब सलमान को देखने आते

फिल्म रिव्यु -  दबंग 3 
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सलमान खान एक ऐसा स्टार है जिसके लिए दर्शकों को किसी कहानी, किसी स्क्रीनप्ले या किसी हीरोइन की ज़रूरत नहीं होती वह सब सलमान को देखने आते है और सलमान की फिल्म के आने का मतलब है किसी त्यौहार का आना और जब बात दबंग की हो तो बात ही कुछ और हैं, हम बात कर रहे है इस सप्ताह रिलीज़ फिल्म दबंग 3 की जो पिछले दो भागों का प्रीक्वल है यानि जब सलमान पुलिस इंस्पेकर भी नहीं बने थे। इस फिल्म से पहली बार डेब्यू कर रही है महेश मांजरेकर की बेटी सई मांजरेकर जो चुलबुल पांडे के साथ उस समय होती है जब उनकी पत्नी रज्जो यानि सोनाक्षी नहीं थी। पिछली दो दबंग फिल्मों की बात करे तो दोनों ने ही सिनेमाघर पर रेकॉर्डतोड़ सफलता पायी थी न सिर्फ कहानी ने बल्कि गानों ने भी।

कलाकार- सलमान खान, सई मांजरेकर, सोनाक्षी सिन्हा, अरबाज खान, किच्चा सुदीप, टीनू आनंद, महेश मांजरेकर, नवाब शाह, वरीना हुसैन और डिंपल कपाड़िया

कहानी - फिल्म की कहानी शुरू होती है चुलबुल पांडे यानि सलमान खान के कॉमिक अवतार से। चुलबुल जोकि एक रॉबिनहुड किरदार को निभाते आ रहे है इसीलिए एक शादी में लुटे गए सोने के गहनों को गुंडों से बचाकर उसे वापिस दिलवाता है और उसे यह नहीं पता होता की इस लूट के पीछे एक माफिया सरगना बाली यानि सुदीप किच्चा का हाथ है और चाहे अनचाहे वो इस वजह से माफिया की आँखों में किरकिरी बन जाता है, यह वहीँ बाली है जिसने चुलबुल से सबकुछ छीन लिया था उसका घर परिवार। अपने पास्ट को याद करता हुआ चुलबुल उसको भी याद करता है जो उसकी ज़िन्दगी में एक ख़ुशी बनकर आयी थी, ख़ुशी यानि सई मांजरेकर जो चुलबुल से प्यार करती है जबकि चुलबुल की माँ यानि डिम्पल कपाड़िया ने ख़ुशी को चुलबुल के भाई मक्खी यानि अरबाज़ खान के लिए पसंद किया है, मक्खी को शादी में कोई इंटरेस्ट नहीं है जबकि चुलबुल चाहता है की ख़ुशी शादी से पहले जो उसका सपना है डॉक्टर बनने का वो पूरा करे लेकिन होता कुछ और ही है, बाली की नज़र ख़ुशी पर पड़ती है वो ख़ुशी को पाने के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार हो जाता है और चुलबुल की ज़िन्दगी में वह सब कर देता है जिसे हम सोच भी नहीं सकते इसीलिए एक बार फिर चुलबुल के सामने है बाली और उसे अपना पुराना हिसाब चुकाना है।
दो घण्टे चौबीस मिनट की इस फिल्म में एक्शन मेलोड्रामा सबकुछ है।

निर्देशन - निर्देशक प्रभु देवा ने इस फिल्म में सलमान के चाहने वालों को वो सब दिया है जिसकी वो हमेशा उम्मीद करते है यानि की पैसे उछालने से लेकर सीटी बजाना, डांस करना और यहाँ तक की शर्टलेस हो जाना जोकि एक कामयाब फिल्म की गारंटी है। प्रभु देवा जोकि खुद एक डांसर है इसीलिए डांस के कुछ स्टाइल उन्होंने सिर्फ सलमान के लिए रखे है और एक्शन की बात करे तो क्लाइमेक्स की फाइट कमाल की है और कई सामाजिक मुद्दे जैसे की दहेज़प्रथा, पानी का संरक्षण को भी फिल्म में डाला गया है ताकि लोग कुछ शिक्षा ग्रहण कर सके। फिल्म की लम्बाई कुछ ज्यादा है अगर फिल्म थोड़ी एडिट और हो जाती तो फिल्म और बेहतरीन हो सकती थी।

एक्टिंग - पूरी फिल्म सलमान खान के कंधो पर है और सलमान का जलवा आज भी कहीं पर भी कम नहीं हुआ है, एक्शन और रोमांस दोनों ही जगहों पर उनका स्वैग नज़र आता है। इस फिल्म के लिए सलमान खान ने काफी वेट लूस किया है जिसकी वजह से वो काफी स्मार्ट और गुडलुकिंग लगे है। प्रभु देवा ने इस बार विलन के रूप में साउथ के दमदार एक्टर सुदीप किच्चा को चुना है जिन्होंने अपने किरदार में जान फूंक दी है और खलनायक के रूप में काफी डेशिंग लगे है। वहीँ नवोदित अभिनेत्री सई बहुत ही मासूम नज़र आती है और पहली ही फिल्म में उनके एक्सप्रेशन कमाल के नज़र आये है वहीँ सोनाक्षी को बहुत ही कम स्क्रीन मिली है लेकिन जितनी भी मिली है उसमे वो खूबसूरत और अच्छी लगी है। अरबाज़ ने अपनी भूमिका को बढियाँ से निभाया है। डिंपल कपाड़िया, टीनू आनंद, महेश मांजरेकर, नवाब शाह सभी ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है।

गीत संगीत - संगीत की बात करे तो साजिद - वाजिद का संगीत दर्शकों को बहुत ज्यादा तो नहीं फिर भी अच्छा लग रहा है खासकर मुन्ना बदमान हुआ तो मिर्ची के टॉप 10 में है और दर्शकों को हुड हुड भी पसंद आ रहा है।
कुल मिलाकर सलमान के फैन्स के लिए यह पूरी तरह एक मसाला फिल्म है जिसको दर्शक क्रिसमस के अवसर पर देखकर खुश होंगे।

सुनील पाराशर


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