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मध्य प्रदेश के बहुचर्चित डंपर प्रकरण के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर

मध्य प्रदेश का बहुचर्चित डंपर प्रकरण एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है

मध्य प्रदेश के बहुचर्चित डंपर प्रकरण के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर
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भोपाल। मध्य प्रदेश का बहुचर्चित डंपर प्रकरण एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है।

कांग्रेस नेता के. मिश्रा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित पांच अन्य के खिलाफ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर और जिला न्यायालय रीवा में दायर याचिका के खारिज होने के बाद सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की, जिसकी सुनवाई आगामी दिनों में होगी।

याचिकाकर्ता मिश्रा ने बताया कि उनकी ओर से दायर इस याचिका में प्रार्थना की गई है कि इस प्रकरण में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, उनकी पत्नी साधना सिंह, मंत्री राजेन्द्र शुक्ल, आईएएस एस़.के.मिश्रा, तत्कालीन आरटीओ क़े एऩ थापक व तत्कालीन सरपंच नित्यानंद पाठक के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति लेकर पूर्व में पारित कई आदेशों के प्रकाश में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम -1988 के तहत प्रकरण दर्ज करवाया जाए ।

याचिका में कहा गया है कि जिला न्यायालय रीवा ने उनके द्वारा गत दिनों इस मामले पर दायर परिवाद को सीआरपीसी की धारा-200 के तहत उनके स्वयं और अन्य गवाहों के बयान लिए बिना यह कहकर खारिज कर दिया था कि आरोपित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मंत्री राजेंद्र शुक्ल एवं वरिष्ठ आईएएस एस़ क़े मिश्रा लोकसेवक की श्रेणी में आते हैं।

इसमें कहा गया कि इसके चलते इन्हें लेकर अभियोजन की स्वीकृति जरूरी है, किन्तु जिला न्यायालय ने पारित अपने इस आदेश में आरोपित साधना सिंह, सेवानिवृत आरटीओ क़े एन थापक तत्कालीन सरपंच नित्यानंद पांडे को लोकसेवक नहीं मानते हुए उनके खिलाफ लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू जैसी जांच एजेंसियों में जाने के लिए परिवादी को स्वतंत्र कर दिया था।

याचिका में आगे कहा गया है कि विधि सम्मत नियमों के आधार पर ऐसे प्रकरणों में न्यायालय द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद अभियोजन की स्वीकृति जरूरी होती है, किंतु जिला न्यायालय ने मिश्रा सहित अन्य गवाहों के बयान व संज्ञान लिए बगैर परिवाद खारिज कर दिया।

इस पारित आदेश के बाद याचिकाकर्ता मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर में भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन की स्वीकृति को लेकर पारित विभिन्न आदेशों में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए दृष्टांतों का उल्लेख करते हुए एक याचिका दायर की, जिसे उच्च न्यायालय ने भी खारिज कर जिला न्यायालय द्वारा पारित आदेश को सही माना।

मिश्रा ने सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा है कि क्या कोई ट्रायल कोर्ट याचिककर्ता व उनके गवाहों के धारा- 200 में बयान लिए बगैर उसे खारिज कर सकता है। इतना ही नहीं साधना सिंह.के एन थापक व नित्यानंद पांडे जो लोकसेवक नहीं है उनके खिलाफ जिला न्यायालय ने अपराध दर्ज करने हेतु संज्ञान क्यों नहीं लिया।

याचिकाकर्ता मिश्रा की ओर से यह विशेष अनुमति याचिका देश के अधिवक्ता व राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा तथा वरिष्ठ वकील वैभव श्रीवास्तव ने दायर की है।


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