फिक्की ने घटाया विकास दर अनुमान
उद्योग संगठन भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने नोटबंदी के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर अनुमान को 0.5 प्रतिशत घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है।

नयी दिल्ली। उद्योग संगठन भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने नोटबंदी के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर अनुमान को 0.5 प्रतिशत घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले उसने इसके 7.3 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी थी।
फिक्की ने आज यहां आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी किया जिसमें कहा गया है कि नोटबंदी के कारण विकास अनुमान में कमी की गयी है। 500 और एक हजार रुपये के पुराने नोटों का प्रचलन बंद किये जाने के कारण नकद लेनदेन पर आधारित क्षेत्र पर गहरा असर हुआ है जिससे उद्योग एवं सेवा क्षेत्र का विकास बाधित हुआ है।
हालांकि सर्वेक्षण में शामिल अर्थशास्त्री नोटबंदी के असर को लेकर एक राय नहीं थे और उन्होंने यह भी अनुमान नहीं लगाया कि इसका असर कब तक रहेगा। कुछ का मानना है कि चालू तिमाही के अंत तक यानी मार्च 2017 तक स्थितियां सामान्य हो जाएंगी और कुछ की राय में इसमें कम से कम दो और तिमाहियां लगेंगी।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि जीडीपी के दो जरुरी कारक सरकारी खर्च और निजी खपत है। नोटबंदी के कारण निजी खपत पर बहुत बुरा असर पड़ा है जिससे निवेश पर होने वाली आय भी चपेट में आ गयी है। उनके मुताबिक सरकार को अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सार्वजिनक व्यय विशेषकर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में बढाना चाहिए।
फिक्की ने गत साल दिसंबर और चालू महीने में अर्थशास्त्रियों, बैंकों तथा वित्तीय सेवा प्रदाता क्षेत्र के प्रतिनिधियों के बीच यह सर्वेक्षण किया है। रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र मुनाफे में होगा ।
अच्छे मानसून के कारण कृषि उत्पाद में बढोतरी की संभावना ने इस क्षेत्र को बल दिया है। हालांकि, उद्योग तथा सेवा क्षेत्र का विकास मामूली रहेगा और इनकी विकास दर क्रमश: 5.7 प्रतिशत और 8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।


