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खेती शुरु होते ही राज्य में अब खाद का संकट

खरीफ की बोनी के बीच छत्तीसगढ़ में रासायनिक खाद का संकट गहराने लगा है

खेती शुरु होते ही राज्य में अब खाद का संकट
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रायपुर। खरीफ की बोनी के बीच छत्तीसगढ़ में रासायनिक खाद का संकट गहराने लगा है। सामने आया है कि सरकार ने खाद उत्पादक कंपनियों को जितनी मात्रा में खाद का ऑर्डर दिया था, उसका 50 प्रतिशत भी नहीं मिल पाया है। जमाखोरी की आशंका से सरकार के कान खड़े हैं। अप्रैल से जून तक यूरिया का कुल आवंटन 2 लाख 72 हजार 503 मीट्रिक टन है। सरकार ने इस बीच 3 लाख 11 हजार 203 मीट्रिक टन का ऑर्डर दिया।

लेकिन कंपनियों ने केवल 94 हजार 24 मीट्रिक टन यूरिया की ही आपूर्ति की। यह कुल आवंटित मात्रा का 34.50 प्रतिशत है। इसी प्रकार डीएपी का कुल आवंटन 1 लाख 62 हजार 27 मीट्रिक टन है। कल 2 लाख 10 हजार 354 मीट्रिक टन का आर्डर हुआ, लेकिन आज तक 70 हजार 79 मीट्रिक टन डीएपी ही मिल पाई है। यह कुल आवंटित मात्रा का 43.25 प्रतिशत है। अधिकारियों ने बताया, केवल जून महीने के लिये यूरिया की आवंटित मात्रा 1 लाख 31 हजार 450 मीट्रिक टन है।

कंपनियों ने अभी तक 37 हजार 420 मीट्रिक टन ही आपूर्ति की है। जून में डीएपी की आवंटित मात्रा 80 हजार मीट्रिक टन है, लेकिन 23 हजार 268 मीट्रिक टन ही मिल पाया है। फिलहाल सरकार ने इफको, आईपीएल, कृभको, कोरोमंडल और चंबल फर्टिलाईजर को खाद की बची हुई मात्रा को 30 जून से पहले अनिवार्य रूप से भेजने का निर्देश दिया है।अधिकारियों ने बताया, छत्तीसगढ़ के लिए जून महीने में आयातित यूरिया का 58 हजार 650 मीट्रिक टन आवंटित है। जिसमें से इफको को 33 मीट्रिक टन देना था और कृभको को 10 हजार मीट्रिक टन। दोनों कंपनियों ने आज तक आयातित यूरिया का एक दाना भी छत्तीसगढ़ नहीं भेजा है। बैठक बुलाकर अफसरों ने दी चेतावनी सहकारी विपणन संघ के प्रबंध संचालक और अपर संचालक कृषि ने खाद कंपनियों, होलसेलर और रिटेलर की संयुक्त बैठक लेकर खाद आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही जमाखोरी से दूर रहने की चेतावनी भी दी है। उप संचालक कृषि को निर्देशित किया गया, होलसेलर एवं रिटेलर के पास जो भी यूरिया, डीएपी एवं अन्य उर्वरक उपलब्ध है, उसकी जांच कर नियमित सत्यापन किया जाए।

होलसेलर और रिटेलर से मिली जानकारी से अधिक स्टाक मिलने पर संबंधित के खिलाफ कार्यवाही की जाए। अधिकारियों ने डीडीए से कहा कि होलसेलर के पास उपलब्ध स्टाक को तत्काल रिटेलर को ट्रांसफर करवाएं। यही नहीं सभी रिटेलर के पास मौजूद स्टॉक को शीघ कृषकों को बिकवाएं ताकि जमाखोरी रोकी जा सके। कहा गया, अगर कोई रिटेलर एवं होलसेलर अधिक समय तक स्टॉक रोककर रखता है, तो रिटेलर के माध्यम से उसका तुरंत विक्रय किया जाना चाहिए।


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