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नारीवादी संगठनों ने सीएए विरोधी महिला कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की निंदा की

नारीवादी संगठन- सीएए, एनआरसी, एनपीआर विरोधी शांतिपूर्ण आंदोलन की गलत छवि बनायी गयी है।

नारीवादी संगठनों ने सीएए विरोधी महिला कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की निंदा की
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नयी दिल्ली। देशभर के जाने माने नारीवादी संगठनों से जुड़ी ग्यारह सौ महिलाओं ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी आंदोलनों में शामिल महिला कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए गिरफ्तार की गयी महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाई।

जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ताओं, लेखकों, पत्रकारों, वकीलों, थियेटर कलाकरों, फिल्मकारों और अकादमिक जगत से जुड़ी महिलाओं ने एक बयान जारी कर रविवार को कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा मुस्लिम महिलाओं, छात्रों और कार्यकर्ताओं के साथ साथ अन्य नागरिकों, जिन्होंने वर्तमान सरकार के असंवैधानिक कदमों के खिलाफ आ‌ावाज उठाई है, उन लोगों गिरफ्तार किया जा रहा है जिसकी हम निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लॉक डाउन के बाद से लगभग आठ सौ सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया या गिरफ्तार किया गया है।

उन्होंने कहा कि सीएए, एनआरसी, एनपीआर विरोधी शांतिपूर्ण आंदोलन की गलत छवि बनायी गयी है। आंदोलन का प्रतिनिधित्व कर रही महिलाओं का जो प्रणालीगत दमन हो रहा है उसकी निंदा और विरोध करते हैं। देश भर में मुस्लिम महिलाओं ने इतने प्रभावशाली ढंग से इस आंदोलन का नेतृत्व किया, इन विरोध प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में अपने घरों मोहल्लों से निकलकर इन महिलाओं ने प्रतिरोध की एक ऐसी लहर चलायी जो सामाजिक संरचनाओं और ढांचे को पलटते हुए एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य में नागरिकता के सवाल को पुननिर्मित और पुरजोर स्थापित कर गया।

यह एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक आंदोलन रहा है। दिल्ली में शाहीन बाग की औरतों से लेकर जामिया हौजरानी, जामा मस्जिद, संदर नगरी, निजामुद्दीन, सीलमपुर आदि की औरतों ने शानदार नेतृत्व ने दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रेरित किया और सत्ता वर्ग की नींव हिलाकर रख दी।

बयान में कहा गया है कि महिलाओं के साथ बातचीत करने से मना करने वाली सरकार ने उन्हें कुचलने के लिए मर्दवादी तरीके को चुना है। इससे साफ है कि जिन लोगों ने इसकी फासीवादी, पितृसत्तातमक, सांप्रदायिक, वर्गवादी और जातिवादी प्रकृति को चुनौती दे उसे कठोरतम राज्य प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा।

उन्होंने मांग की है कि शांतिपूर्ण सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ झूठे मामलों को हटाया जाए और बढ़ा चढ़ाकर लगाये गये आरोपों में गिरफ्तार किये गये सभी को तुरंत रिहा किया जाए। दिल्ली हिंसा के असली दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाय जिसमें कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा और अन्य लोग शामिल है जिन्होंने हिंसा भड़काई, फैलाई और तीन दिनों तक बनी रहने दी। विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार अपनाने वालों का उत्पीड़न बंद करने और शीर्ष अदालत के आदेशों के अनुसार जेलों को डी-कंजेस्ट किया जाय और सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाय।

सीएए विरोधी आंदोलनकारियों का दमन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने वाली जानीमानी नारीवादी सामाजिक कार्यकर्ताओं एन्नी राजा, मेधा पाटेकर, फराह नकवी, अरुणा राय, शबनम हाशमी, है। इसी प्रकार अकादमिक जगत की जानी मानी हस्तियां उमा चक्रवर्ती, कल्पना कन्नाबिरन, जोया हसन, नंदिता नारायण लेखिका मीना कंडास्वामी, गीता हरिहरण तथा वरिष्ठ पत्रकार पामेला फिलपोज, गीता सेशु, सजाया के, लक्ष्मी मूर्ति शामिल है।


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