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गुजरात में आदमखोर तेंदुए के आतंक के बीच वन विभाग के पिंजरे में फंसी मादा तेंदुआ

गुजरात में वन विभाग ने अमरेली जिले के बगसरा तालुका में आदमखोर तेंदुए के आतंक के बीच कल देर रात कागदड़ी गांव में एक माता तेंदुए को पकड़ लिया।

गुजरात में आदमखोर तेंदुए के आतंक के बीच वन विभाग के पिंजरे में फंसी मादा तेंदुआ
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अमरेली। गुजरात में वन विभाग ने अमरेली जिले के बगसरा तालुका में आदमखोर तेंदुए के आतंक के बीच कल देर रात कागदड़ी गांव में एक माता तेंदुए को पकड़ लिया।

बगसरा इलाके में तेंदुए के हमले में पिछले कुछ समय में तीन लोगों की मौत हुई हैं जबकि एक महिला घायल हो गयी। इसके बाद से वन विभाग ने गत सात दिसंबर की रात से पुलिस के साथ मिल कर एक व्यापक अभियान इसे पकड़ने के लिए शुरू किया था जिसमें रात में देखने वाले नाइट विजन कैमरे की भी मदद ली जा रही है।

जूनागढ़ के मुख्य वन संरक्षक डी टी वसावड़ा ने आज यूएनआई को बताया कि कागदड़ी गांव के बाहरी इलाके में रखे गये एक पिंजरे में कल देर रात पांच से सात साल उम्र की मादा तेंदुआ फंस गयी। अब इसके मल की जांच संबंधी स्कैट विश्लेषण के जरिये तथा इसके पंजे के निशान से हमले के इलाके में मिले निशान की मिलान कर इस बात का पता लगाया जायेगा कि हमले इसने ही किये थे या नहीं। उधर अन्य तेंदुओं को पकड़ने का रात्रिकालीन अभियान जारी रहेगा।

ज्ञातव्य है कि बगसरा के एक गांव में गत 25 अक्टूबर को तेंदुए के हमले में एक व्यक्ति की मौत हुई थी और उसके बाद पांच दिसंबर को भी उसी गांव में एक अन्य व्यक्ति को तेंदुए ने शिकार बना लिया था। सात दिसंबर तड़के भी एक अन्य गांव में एक व्यक्ति की आदमखोर तेंदुए ने जान ले ली थी जबकि आठ दिसंबर को लूंधिया गांव में एक महिला को घायल कर दिया था।

इन हमलों को बाद ऐसे जानवरों को मारने की मांग इन इलाकों में उठी थी। तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग और पुलिस ने इसके बाद राज्य सरकार के निर्देश पर व्यापक अभियान शुरू किया है।

अमरेली जिले में पिछले कुछ समय में पांच से सात लोग तेंदुए के हमले में मारे गये हैं जबकि आसपास गिर वन के इलाके में एक साल में 17 लोगों को तेंदुओं ने शिकार बनाया है और 67 घायल हुए हैं। सत्तारूढ़ भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा अमरेली निवासी पूर्व मंत्री दिलीप संघाणी ने तो वन मंत्री से गैर वन क्षेत्र में मानवों पर हमले करने वाले जानवरों को मारने की अनुमति देने की मांग की है। उधर वन विभाग का कहना है कि ऐसे जानवरों को पिंजरों के जरिये अथवा बेहोश करने वाली दवा के जरिये पकड़ने के प्रयास किये जायेंगे।


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