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सोनिया गांधी ने राज्यसभा में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का मुद्दा उठाया

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्यसभा में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का मुद्दा उठाया। उन्होंने इन पर काम के बोझ की चर्चा की और यह डिमांड भी कि इनका मानदेय दोगुना किया जाए।

सोनिया गांधी ने राज्यसभा में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का मुद्दा उठाया
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नई दिल्ली। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और पार्टी की राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी ने मंगलवार को संसद में नेशनल लाइवलीहुड मिशन के साथ ही आंगनबाड़ी, आशा कार्यकत्रियों का मुद्दा उठाया। सोनिया गांधी ने राज्यसभा में जीरो ऑवर के दौरान कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण की राह में ये इनिशिएटिव लिए गए थे। सार्वजनिक सेवाओं की डिलीवरी में भी इनका बड़ा योगदान है।

उन्होंने कहा कि मैं सदन का ध्यान राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महत्वपूर्ण सरकारी कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने वाली महिला कार्यकर्ताओं आशा कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों, और सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों की निरंतर दुर्दशा की ओर आकर्षित करने के लिए खड़ी हुई हूं।

इन पहलों का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त करना है। हालांकि, सार्वजनिक सेवा वितरण में उनके महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद, ये महिला कार्यकर्ता अत्यधिक कार्यभार से दबी हुई हैं और उन्हें कम वेतन मिलता है ।

इन कमियों के कारण लाखों बच्चे और माताएं आवश्यक सेवाओं से वंचित रह जाती हैं। यहां तक ​​कि जब ये पद भर भी दिए जाते हैं, तब भी 2011 के बाद से अद्यतन जनगणना के आंकड़ों के अभाव के कारण जनसंख्या के मानदंडों से कम पड़ते हैं।

मैं सरकार से आग्रह करती हूं कि वह राज्यों के साथ मिलकर सभी मौजूदा रिक्तियों को भरने के उपायों को प्राथमिकता दे; सभी कार्यकर्ताओं को समय पर पारिश्रमिक सुनिश्चित करे, इन अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के वेतन में केंद्र सरकार के योगदान को दोगुना करे, 2,500 से अधिक आबादी वाले गांवों में एक अतिरिक्त आशा कार्यकर्ता की नियुक्ति करे और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की संख्या को दोगुना करे ताकि मौजूदा पोषण और स्वास्थ्य पहलों के अतिरिक्त प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा को सक्षम बनाया जा सके।”


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