मनरेगा खत्म होना हमारी सामूहिक विफलता, सोनिया गांधी का जी राम जी स्कीम पर तीखा वार
सोनिया गांधी ने एक आर्टिकल में मनरेगा स्कीम खत्म किए जाने पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि इस योजना को समाप्त करना सही नहीं था और यह हमारी सामूहिक विफलता है। कांग्रेस की नेता ने लिखा कि यह स्कीम ग्रामीणों को रोजगार की गारंटी देने के साथ ही गरिमा भी प्रदान करती थी।

नई दिल्ली। कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने मनरेगा का नाम बदले जाने को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि मनरेगा महात्मा गांधी के सर्वोदय के विजन पर आधारित थी। उसका खत्म होना हम सभी के लिए सामूहिक विफलता है। उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार में लिखे आर्टिकल में कहा कि ग्रामीण रोजगार वाली इस स्कीम को खत्म करना सामूहिक विफलता है। इससे देश के करोड़ों लोगों पर असर पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि मनरेगा सिर्फ एक वेलफेयर स्कीम नहीं थी बल्कि जनता को आजीविका का अधिकार देने वाली स्कीम है। इसके अलावा ग्रामीणों को गरिमा भी इस स्कीम ने प्रदान की थी।सोनिया गांधी ने लिखा कि सर्वोदय के दृष्टिकोण को साकार करने वाली योजना का अंत होना 'हमारी समूहिक नैतिक विफलता है।'
सोनिया ने यह भी कहा कि उन अधिकारों की रक्षा करने के लिए एकजुट होना होगा, जो सबकी सुरक्षा करते हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को ‘विकसित भारत -जी राम जी' विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी। इसके साथ ही यह अब अधिनियम बन गया है और इस संबंध में एक अधिसूचना भारत के राजपत्र में प्रकाशित की गई है। इसके साथ ही मनरेगा स्कीम अब आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गई है और उसकी जगह जी राम जी स्कीम ने ले ली है।
कांग्रेस की राज्यसभा सांसद ने लिखा, 'पिछले कुछ दिन में नरेंद्र मोदी सरकार ने चर्चा, परामर्श या संसदीय प्रक्रियाओं तथा केंद्र–राज्य संबंधों के प्रति सम्मान के बिना मनरेगा को खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ाने का प्रयास किया है। योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाया जाना तो एक बानगी भर है। मनरेगा की वह पूरी संरचना, जो उसके प्रभाव के लिए अत्यंत आवश्यक थी, पूरी तरह से नष्ट कर दी गई है।'
उन्होंने कहा, 'यह याद रखना चाहिए कि यह दुनिया की सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा पहल रही है और साथ ही सबसे अधिक अध्ययन एवं मूल्यांकन वाली योजनाओं में से एक भी है।'उन्होंने कहा कि इन सभी अध्ययनों ने समाज के सबसे कमजोर वर्गों पर इसके परिवर्तनकारी प्रभावों को रेखांकित किया है। उन्होंने यह दावा भी किया कि राज्यों की वित्तीय स्थिति, जो पहले से ही गंभीर दबाव और संकट में है, अब और अधिक तबाह हो जाएगी।
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने लिखा कि कार्यक्रम के मांग आधारित स्वरूप को खत्म करने के अलावा, मोदी सरकार ने इस योजना के विकेंद्रीकृत स्वरूप को भी समाप्त कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार यह कहकर भ्रामक दावे कर रही है कि उसने रोजगार की गारंटी 100 दिन (मनरेगा के तहत) से बढ़ाकर 125 दिन कर दी है।


