बीएमसी चुनाव से पहले महाराष्ट्र में नई सियासत, साथ आए राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे
महाराष्ट्र की राजनीति दो दशक की लंबी तल्खी और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को पीछे छोड़ते हुए उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे फिर से एक साथ आ गए हैं।

मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में दो दशक की लंबी तल्खी और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को पीछे छोड़ते हुए उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे फिर से एक साथ आ गए हैं। शिवसेना (UBT) और मनसे ने बीएमसी चुनाव के लिए गठबंधन कर लिया है। ठाकरे ब्रदर्स अब एक साथ मैदान में उतरेंगे।
गठबंधन कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे ने कहा कि आज मुंबई पर कब्ज़ा करने की कोशिशें हो रही हैं। ऐसे समय में आपस में लड़ने का नहीं, एकजुट होने का वक्त है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की साज़िशें की जा रही हैं, लेकिन हम ऐसा किसी भी हालत में होने नहीं देंगे।
आगामी बीएमसी (BMC) और महाराष्ट्र के अन्य 28 नगर निगम चुनावों के लिए शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) ने ऐतिहासिक गठबंधन का फैसला किया है।
दिल्ली में बैठे लोग हमें तोड़ने की कोशिश कर रहेः उद्धव ठाकरे
ठाकरे बंधुओं (उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे) ने मुंबई में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शिवसेना (UBT) और मनसे के बीच गठबंधन का औपचारिक ऐलान किया।
गठबंधन की घोषणा करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमारी सोच एक है। हमें मराठियों का संघर्ष और उनका बलिदान याद है। आज हम दोनों भाई एक साथ खड़े हैं और आगे भी साथ रहेंगे। दिल्ली में बैठे लोग हमें तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस बार हमें टूटना नहीं है। अगर ऐसा हुआ तो यह हमारे पूर्वजों के बलिदान का अपमान होगा।
सीटों का बंटवारा हमारे लिए मायने नहीं रखताः राज ठाकरे
वहीं राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र और मुंबई किसी भी विवाद से बड़े हैं। आज हम दोनों भाई साथ आए हैं। सीटों का बंटवारा हमारे लिए मायने नहीं रखता। मुंबई का मेयर मराठी ही होगा, वह हमारा ही होगा।
मातोश्री और शिवतीर्थ की दूरियां हुईं खत्म
स्थानीय निकाय चुनावों (एलजीबी) में विपक्षी दलों को मिली कड़ी शिकस्त के बाद ठाकरे भाइयों ने एक साझा दुश्मन के खिलाफ एकजुट होने का फैसला किया है। गठबंधन की जमीन तब तैयार हुई जब शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत राज ठाकरे के निवास शिवतीर्थ पहुंचे।
इसके बाद एमएनएस के नेताओं ने भी देर शाम उद्धव ठाकरे के निवास मातोश्री जाकर चर्चा को अंतिम रूप दिया। साल 2005-06 में राज ठाकरे के शिवसेना छोड़ने के बाद यह पहली बार है जब दोनों भाई किसी बड़े चुनावी रण में एक साथ उतर रहे हैं।
सीट शेयरिंग का गणित और पेंच
दोनों दलों के बीच गठबंधन का ऐलान पहले 23 दिसंबर को होना था लेकिन कुछ सीटों पर सहमति न बन पाने के कारण इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया था। उद्धव ठाकरे की पार्टी अपनी पिछली जीती हुई 84 सीटों में से करीब 12 से 15 सीटें राज ठाकरे की पार्टी (MNS) को देने पर सहमत हुई है। मुख्य पेच उन सीटों पर फंसा था जहाँ जीतना चुनौतीपूर्ण माना जाता है। लंबी बातचीत के बाद अब दोनों पक्ष एक साझा फार्मूले पर पहुंच चुके हैं।
क्यों अहम है यह गठबंधन?
महाराष्ट्र में बीएमसी (मुंबई नगर निगम) को 'सत्ता का द्वार' माना जाता है। 29 नगर निगमों के चुनाव में ठाकरे भाइयों का एक साथ आना राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह बदल सकता है। दोनों दलों का मुख्य आधार मराठी मानुस है। वोटों के बंटवारे को रोककर यह गठबंधन सत्ताधारी गठबंधन (महायुति) को कड़ी टक्कर दे सकता है। दोनों पार्टियों के जमीनी कार्यकर्ता इस मिलन से उत्साहित हैं जो चुनाव प्रचार में नई जान फूंक सकता है।
BMC चुनाव 2017 के आंकड़ें
BMC चुनाव 2017 के आंकड़ों की बात करें तो उस वक्त शिवसेना और भाजपा ने बिना गठबंधन के एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इस चुनाव के बाद भाजपा ने शिवसेना को बाहर से समर्थन देने का फैसला किया था जिसके चलते शिवसेना का मेयर चुना गया। मनसे के 7 में से 6 पार्षद बाद में शिवसेना में शामिल हो गए थे।
कुल 227 सीटें महाराष्ट्र निकाय चुनाव में
शिवसेना ने सबसे अधिक 84 सीटें जीती थीं
भाजपा ने 82 सीटों पर जीत हासिल की थी
विपक्षी दलों में कांग्रेस को 31 सीटें मिली थीं
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी NCP 9 सीटों पर सिमटी थी
राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को 7 सीटें
अन्य उम्मीदवारों के खाते में 14 सीटें गई थीं


