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हिंदू राष्ट्र के बयान पर सियासी संग्राम, कांग्रेस नेता उदित राज ने संघ प्रमुख को दी खुली चुनौती

उदित राज ने कहा कि कोई हिंदू राष्ट्र नहीं है, गलत बात है। मोहन भागवत की हिम्मत है तो कर दिखाएं। मालूम है कि इनके दिल में कुछ और है जुबान पर कुछ और है। अंत में जुबान पर बात ही गई। अभी तक अगल बगल से कहलवाते रहे।

हिंदू राष्ट्र के बयान पर सियासी संग्राम, कांग्रेस नेता उदित राज ने संघ प्रमुख को दी खुली चुनौती
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत द्वारा भारत को हिंदू राष्ट्र बताए जाने के बाद देश में एक नई वैचारिक और राजनीतिक बहस छिड़ गई है। कांग्रेस नेता उदित राज ने इस बयान पर कड़ा ऐतराज जताते हुए संघ प्रमुख को सीधी चुनौती दी है।

उन्होंने भागवत के बयान को असंवैधानिक और राष्ट्रविरोधी करार देते हुए कहा कि भारत में कोई हिंदू राष्ट्र नहीं है और अगर संघ प्रमुख में सामर्थ्य है, तो वे ऐसा करके दिखाएं। उदित राज का तर्क है कि इस तरह की बयानबाजी देश के लोकतांत्रिक ढांचे और संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि संघ और उससे जुड़े संगठन अब तक दूसरों के माध्यम से ऐसी बातें कहलवाते थे, लेकिन अब संघ प्रमुख ने खुद खुलकर अपनी मंशा जाहिर कर दी है। उन्होंने कहा कि इनके दिल में कुछ और है और जुबान पर कुछ और, लेकिन आखिरकार सच सामने आ ही गया।

हुमायूं कबीर भाजपा की बी टीम

उदित राज ने पश्चिम बंगाल के नेता हुमायूं कबीर द्वारा बाबरी मस्जिद की नींव रखने जैसे बयानों को भी इसी रणनीति का हिस्सा बताया। उन्होंने दावा किया कि ऐसे नेता और भाजपा एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने हुमायूं कबीर को भाजपा की बी टीम बताते हुए कहा कि यह सब हिंदू-मुसलमान ध्रुवीकरण के जरिए चुनाव जीतने की एक सोची-समझी साजिश है ताकि कुछ लोगों को पैसा और शोहरत मिल सके।

भागवत का बयान

रविवार को एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा था, 'सूर्य पूर्व से उदय होता है। हम नहीं जानते कि ऐसा कब से हो रहा है। तो क्या हमें उसके लिए भी संविधान की मंजूरी लेनी पड़ेगी। हिंदुस्तान हिंदू राष्ट्र है। जो भी भारत को अपनी मां मानता है, वो भारतीय संस्कृति की तारीफ करता है, जब तक हिन्दुस्तान की धरती पर एक भी व्यक्ति जिंदा है जो पूर्वजों को गौरव को मानता है और उसका सम्मान करता है, तब तक भारत हिंदू राष्ट्र है। यह संघ की विचारधारा है।

'उन्होंने कहा, 'अगर संसद कभी संविधान संशोधन का फैसला करती है और शब्द को जोड़ती है। अगर ऐसा होता है या नहीं होता है, तो भी ठीक है। हम शब्द की चिंता नहीं करते, क्योंकि हम हिंदू हैं और हमारा देश हिंदू राष्ट्र है। यह सच है जन्म पर आधारित जाति व्यवस्था हिंदुत्व की पहचान नहीं है।


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