वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों पर सरकार की असंवेदनशीलता पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश की कड़ी प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता ने कहा कि 9 दिसंबर, 2025 को मोदी सरकार द्वारा राज्यसभा में घोषणा की गई कि देश में ऐसा कोई पक्का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि मृत्यु या बीमारी का सीधा संबंध केवल वायु प्रदूषण से है। यह सरकार की असंवेदनशीलता है।

नई दिल्ली। कांग्रेस ने दिल्ली और कई अन्य शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति पर चिंता जताते हुए सोमवार को कहा कि सिर्फ सर्दियों के कुछ महीनों के बजाय पूरे साल ठोस कदम उठाने की जरूरत है तथा 1981 के वायु प्रदूषण विरोधी कानून पर भी पुनर्विचार किया जाना चाहिए। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि एनजीटी को फिर से नई जिंदगी देने की जरूरत है क्योंकि इसे पिछले कुछ वर्षों में कमजोर कर दिया गया है।
कांग्रेस नेता ने एक बयान में कहा कि 9 दिसंबर, 2025 को मोदी सरकार द्वारा राज्यसभा में घोषणा की गई कि देश में ऐसा कोई पक्का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि मृत्यु या बीमारी का सीधा संबंध केवल वायु प्रदूषण से है। यह दूसरी बार है जब सरकार ने चौंकाने वाली असंवेदनशीलता दिखाते हुए वायु प्रदूषण के कारण मृत्यु या बीमारी में योगदान को नकारा है।
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी 29 जुलाई 2024 को राज्यसभा में सरकार ने यही दावा किया था। सबसे हालिया सार्वजनिक रूप से उपलब्ध वैज्ञानिक प्रमाण कई तथ्य उजागर करते हैं। उन्होंने कहा कि जुलाई, 2024 की शुरुआत में प्रतिष्ठित ‘लांसेट’ जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला कि भारत में होने वाली कुल मौतों में से 7.2 प्रतिशत मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ी हैं। इस अध्ययन के मुताबिक, सिर्फ 10 शहरों में ही हर साल लगभग 34,000 मौतें वायु प्रदूषण से संबंधित हैं।’’
उन्होंने कुछ अन्य अध्ययनों का भी हवाला दिया और कहा कि ‘नेशनल एम्बिएंट एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड्स’ को आखिरी बार नवंबर 2009 में व्यापक सलाह-मशविरे के बाद जारी किया गया था। उस समय इन्हें प्रोग्रेसिव माना गया था लेकिन आज इन्हें उन्नत करने की जरूरत है और उससे भी ज्यादा जरूरी है कि इन्हें सख्ती से लागू किया जाए।
जयराम रमेश ने कहा कि फिलहाल पीएम2.5 के लिए जो मानक तय हैं, वे विश्व स्वास्थ्य संगठन के वार्षिक सुरक्षित दिशानिर्देशों से आठ गुना गुना अधिक हैं। 2017 में नेशनल क्लियर एयर प्रोग्राम शुरू होने के बावजूद पीएम 2.5 का स्तर लगातार बढ़ता गया है और देश का हर नागरिक ऐसे इलाकों में रह रहा है जहां यह स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों से कहीं ज्यादा हैं। उनके मुताबिक, चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (ग्रैप) साफ हवा के लिए जरूरी कदमों का मुख्य केंद्रबिंदु नहीं रह सकते।
कांग्रेस नेता ने कहा कि हमें पूरे साल सिर्फ़ सर्दियों के अक्टूबर-दिसंबर महीनों में ही नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर और तेजी से कई क्षेत्रों में कड़े कदम उठाने की जरूरत है। वायु प्रदूषण (नियंत्रण और निवारण) अधिनियम, 1981, जो पिछले चार दशकों से अधिक समय तक पर्याप्त माना जाता रहा है, अब उसपर पुनर्विचार करने की जरूरत है क्योंकि उस कानून को बनाने के पीछे का कारण स्वास्थ्य आपात स्थिति नहीं था। जयराम रमेश ने कहा कि संसद के अधिनियम के तहत अक्टूबर 2010 में सभी राजनीतिक दलों के समर्थन से स्थापित राष्ट्रीय हरित अधिकरण को पिछले एक दशक में कमज़ोर कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इसे एक नयी ज़िंदगी की जरूरत है।


