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स्टडी वीजा पर रूस गए भारतीय छात्र की यूक्रेन युद्ध में मौत, ताबूत में लौटा शव; MEA से मांगी थी सुरक्षा

स्टडी वीजा पर रूस गए उत्तराखंड के छात्र राकेश की यूक्रेन युद्ध में मौत हो गई है। उनका शव ताबूत में भारत लौटा। परिजनों ने अगस्त महीने में विदेश मंत्रालय से बेटे की सुरक्षा की मांग की थी। राकेश ने जबरन रूसी सेना में भर्ती का आरोप लगाया था।

स्टडी वीजा पर रूस गए भारतीय छात्र की यूक्रेन युद्ध में मौत, ताबूत में लौटा शव; MEA से मांगी थी सुरक्षा
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नई दिल्ली। स्टडी वीजा पर पढ़ाई के लिए रूस गए उत्तराखंड के छात्र का शव ताबूत में भारत लौटा है। युवक उधमसिंह नगर जिले का रहने वाला था। परिजनों ने पूर्व में युवक को जबरन रूसी सेना में भर्ती कर यूक्रेन युद्ध में भेजने का आरोप लगाया था। हालांकि, अब मौत के कारणों को लेकर परिजन और प्रशासन के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। परिजनों ने बताया कि वह पांच महीने पहले पढ़ाई के लिए रूस गया था।

जानकारी के मुताबिक शक्तिफार्म कुसमोठ निवासी दीपू मौर्य ने पांच सितंबर को विदेश मंत्रालय को ई-मेल भेजकर अपने भाई राकेश कुमार की सकुशल वापसी की गुहार लगाई थी। दीपू के अनुसार, उसका भाई 30 वर्षीय राकेश कुमार इसी वर्ष 7-8 अगस्त को स्टडी वीजा पर रूस गया था। रूस पहुंचने के बाद राकेश ने फोन पर परिजनों को बताया था कि वह बेहद कठिन हालात में है।

30 अगस्त को जबरन रूसी सेना में भर्ती

30 अगस्त को राकेश से अंतिम बार बातचीत हुई थी। बातचीत के दौरान राकेश ने आरोप लगाया था कि उसे जबरन रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया है और प्रशक्षिण के बाद यूक्रेन युद्ध में भेजा जा रहा है। इसके बाद राकेश से परिजनों का संपर्क पूरी तरह टूट गया। तब परिजनों का कहना था कि उन्होंने इस संबंध में भारत सरकार और विदेश मंत्रालय से कई बार गुहार लगाई, लेकिन कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। उस समय यह भी बताया गया था कि राकेश ने रूसी सेना की वर्दी में अपनी फोटो परिजनों को भेजी थी। इसके बाद परिजन परेशान रहे।

जनप्रतिनिधियों और मीडिया का विरोध

चर्चा है कि राकेश की मौत यूक्रेन युद्ध के दौरान हुई, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी। प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मौत के कारणों को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे रहे हैं। शव पहुंचने के दौरान घर पर और अंतिम संस्कार के दौरान परिजनों ने मीडिया एवं जनप्रतिनिधियों से दूरी बनाए रखी। जनप्रतिनिधियों और मीडियाकर्मियों को विरोध का भी सामना करना पड़ा।

पिता सिडकुल में करते हैं नौकरी

सोशल मीडिया पर राकेश के दोस्त हनी सिंह ने पोस्ट कर दावा किया कि राकेश दिल्ली एयरपोर्ट आ रहा है, लेकिन इसके बाद स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी। राकेश का परिवार 15 वर्षों से शक्तिफार्म में रह रहा है। परिवार मूलरूप से ग्राम पलिया गुर्जर, थाना दातागंज, जिला बदायूं (उत्तर प्रदेश) का निवासी है। राकेश के पिता सिडकुल की एक कंपनी में नौकरी करते हैं।


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