अखलाक हत्याकांड: उत्तर प्रदेश सरकार को कोर्ट से झटका, केस वापसी की याचिका खारिज
ग्रेटर नोएडा के चर्चित बिसाहाड़ा अखलाक लिंचिंग केस में सूरजपुर अदालत ने आरोपियों के खिलाफ केस वापस लेने की शासन की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने अभियोजन की अर्जी को आधारहीन और महत्वहीन बताया।

नोएडा। वर्ष 2015 के चर्चित अखलाक हत्याकांड में उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ा झटका लगा है। सूरजपुर कोर्ट ने मंगलवार को मामले में दर्ज मुकदमे को वापस लेने की सरकार की याचिका को खारिज कर दिया।
अदालत ने अभियोजन पक्ष की ओर से केस वापसी के लिए दाखिल अर्जी को पूरी तरह आधारहीन और महत्वहीन करार देते हुए इसे निरस्त कर दिया। कोर्ट का कहना है कि इस तरह की याचिका स्वीकार करने का कोई कानूनी आधार नहीं बनता।
यह मामला दादरी के बिसाहड़ा गांव में सितंबर 2015 की उस घटना से जुड़ा है, जिसमें अखलाक की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। आरोप था कि गोमांस रखने की अफवाह पर गांव वालों ने हमला किया था। इस घटना ने पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दिया था और व्यापक स्तर पर चर्चा का विषय बनी थी। मामले में कई आरोपियों पर हत्या, दंगा और अन्य गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा चल रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ समय पहले केस वापसी की अर्जी दाखिल की थी, जिसे अब कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया है।
अखलाक की हत्या का क्या है पूरा मामला?
28 सितंबर 2015 की रात करीब 10 बजे उत्तर प्रदेश के दादरी के पास बिसाहड़ा गांव में मोहम्मद अखलाक के घर के बाहर ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई थी। आरोप लगाया गया कि गांव में कुछ दिन पहले गाय का बछड़ा गायब हुआ था और अखलाक के परिवार ने उसे काटकर उसका मांस खाया है। इसी आरोप को लेकर भीड़ ने हंगामा किया, जिसके बाद स्थिति तेजी से तनावपूर्ण हो गई। इसी आरोप के साथ भीड़ ने पीट-पीट कर अखलाक की हत्या कर दी।
अखलाक लिंचिंग केस में कौन-कौन आरोपी?
अखलाक की हत्या मामले में कुल 19 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें स्थानीय भाजपा नेता के बेटे विशाल राणा और उसके सगा शिवम जैसे मुख्य आरोपी शामिल थे। पुलिस ने उन्हें हत्या, दंगा और धमकी समेत कई आरोपों के तहत नामजद किया था। अखलाक की मौत के मामले में एफआईआर में यह सभी आरोपी थे और कोर्ट में केस की लगातार सुनवाई चल रही थी। इस साल अक्टूबर 2025 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इन सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप वापस लेने के लिए ट्रायल कोर्ट में आवेदन दायर किया था, जो 18 दिसंबर को सुनवाई के लिए तय किया गया।


