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स्तन कैंसर पर जागरूकता के लिए 'निडर हमेशा' वॉकाथन

स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए यहां एक अस्पताल की तरफ से 'निडर हमेशा' अभियान के तहत रविवार को वॉकाथन आयोजित किया गया

स्तन कैंसर पर जागरूकता के लिए निडर हमेशा वॉकाथन
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नई दिल्ली। स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए यहां एक अस्पताल की तरफ से 'निडर हमेशा' अभियान के तहत रविवार को वॉकाथन आयोजित किया गया। इस वॉकाथॉन में स्तन कैंसर से निजात पा चुकीं 16 महिलाओं ने भाग लिया। मैक्स अस्पताल की तरफ से जारी एक बयान के अनुसार, शालीमार बाग में वॉकाथन का नेतृत्व इन रोगियों का इलाज कर रहे डॉ. आर. रंगा राव ने किया।

इस मौके पर डॉ. आर. रंगा राव ने कहा, "लोगों को यह पता होना चाहिए कि कैंसर विज्ञान में हाल में हुई प्रगति के कारण, अब स्तन कैंसर का पूरी तरह से इलाज किया जा सकता है। स्तन कैंसर के उचित और प्रारंभिक चरणों में निदान कर न केवल रोगी के जीवित रहने की संभावनाओं को तीन गुना किया जा सकता है, बल्कि रोगी को बेहतर गुणवत्तापूर्ण जीवन भी प्रदान किया जा सकता है। हम अपने अभियान 'निडर हमेशा' के माध्यम से इस पर रोशनी डालना चाहते हैं।"

बयान में कहा गया है कि ग्लोबैकन 2017 में प्रकाशित हाल के आंकड़ों के मुताबिक, स्तन कैंसर से पीड़ित भारतीय महिलाओं की संख्या दुनिया भर में सबसे अधिक है। लेकिन बढ़ती जागरूकता, समय पर इलाज और कैंसर देखभाल के क्षेत्र में बदलते प्रतिमानों ने धीरे-धीरे मृत्यु दर को कम कर दिया है।

डॉ. राव ने कहा, "निडर हमेशा में भाग लेने वाले सभी मरीजों का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है, ताकि अधिकांश स्तन कैंसर का शुरुआती चरणों में ही पता लगाया जा सके, क्योंकि स्तन कैंसर वाली अधिकांश महिला मेटास्टेसिस के बाद अस्पताल आती हैं, जब ट्यूमर शरीर के अन्य अंगों में फैल जाता है। इस चरण में, इसका पूरी तरह से इलाज नहीं हो पाता है।"

बयान में कहा गया है कि स्तन कैंसर वंशानुगत होने के अलावा, अब जीवनशैली की बीमारी अधिक है। तनाव, खान-पान की खराब आदतें, निष्क्रिय जीवनशैली, और वायु तथा जल प्रदूषण को युवा भारतीय महिलाओं के बीच स्तन कैंसर के मामलों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। स्तन कैंसर होने की उम्र में तेजी से गिरावट आई है। स्तन कैंसर पहले आम तौर पर 60 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को होता था, लेकिन अब 40 साल से भी कम उम्र की महिलाएं इससे ग्रस्त हो रही हैं।


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