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लापता बेटे की मन्नत मांगने महाकाल मंदिर उज्जैन पहुँचा पिता, बेटा वहीं मिल गया
पिता बेटे को ढूंढने महाकाल बाबा की शरण में पहुँचा ओर बेटे के लिए मन्नत मांगने लगा, उसकी मन्नत और बाबा का ऐसा चमत्कार हुआ कि खोया हुआ बेटा महाकाल बाबा के दरबार में ही मिल गया

उज्जैन। इसे आप महाकाल का चमत्कार कहें या सयोंग! लेकिन यह खबर आपको अचरज में डाल देगी। पांच महीने से जिस लापता बेटे की मन्नत मांग पिता उत्तरप्रदेश के कासगंज से महाकाल दर्शन के लिए निकला था, वह लापता बेटा उस पिता को उज्जैन में महाकाल मंदिर के पास एक आश्रम में ही मिल गया। पिता श्रीकृष्ण का कहना है कि वह कासगंज जिले के रामसिंहपुरा सोरो में रहते हैं।
पांच भाइयों और एक बहन में पंकज 17 साल का है और मानसिक दिव्यांग है। श्रीकृष्ण खुद मजदूरी करते हैं। इसके बाद भी उन्होंने अपने बेटे पंकज की तलाश जारी रखी। उनका कहना है कि पंकज छत पर सो रहा था। अगली सुबह वह मिला ही नहीं।
उन्होंने अलीगढ़, बरेली और दिल्ली समेत तमाम शहरों में तलाश की। हर जगह निराशा ही हाथ लगी।
इसके बाद सभी जगह से निराश श्रीकृष्ण 5 माह पहले मानसिक रूप से कमजोर लापता हो गए बेटे को ढूंढने महाकाल बाबा की शरण में आते है ओर बेटे के मिलने की मन्नत बाबा महाकाल से मांगने लगते है उसकी मन्नत और बाबा का ऐसा चमत्कार हुआ कि उनका खोया हुआ बेटा महाकाल बाबा के दरबार में ही मिल गया।
उत्तर प्रदेश के कासगंज के रहने वाले श्री कृष्ण कुमार जी का मानसिक बेटा 5 महीने पहले घर से लापता हो गया था घर वालों ने उसको काफी जगह तलाश करा लेकिन वह कहीं नहीं मिला थक हार कर के भी निराश हो गए और बाबा महाकाल के दरबार में बेटे की मन्नत लेकर आए उनकी मन्नत बाबा पर विश्वास और उनकी आस्था का ऐसा चमत्कार हुआ कि महाकाल बाबा के दर्शन के कुछ देर बाद ही उनका लापता बेटा उनकी आंखों के सामने आ गया था बेटे को पाकर पिताजी की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े,उनको उम्मीद ही नही थी की 800 किलोमीटर दूर बाबा के दरबार में उनका खोया बेटा मिल जाएगा शायद बाबा ने अपना आशीर्वाद देने के लिए उन्हें 800 किलोमीटर दूर से यहां बुलाया था।
श्रीकृष्ण का कहना है कि उन्होंने अपने परिचित पवन समाधिया ने उन्हें महाकाल दर्शन की सलाह दी और कहा कि वहीं से कोई रास्ता निकलेगा। हम उनकी बात मानकर उज्जैन आए। जब हम उज्जैन के महाकाल मंदिर में दर्शन कर बाहर निकले तो पता चला कि यहां एक सेवाधाम आश्रम है।
उस आश्रम में मानसिक दिव्यांगों की देखभाल की जाती है। मन मे विचार आया कि एक बार वहां जाकर देखना चाहिए।
श्रीकृष्ण ने इस आश्रम में पहुंचकर अपने लापता बेटे पंकज का फोटो दिखाया तो पता चला कि तीन महीने से पंकज इसी आश्रम में रह रहा है।
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