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पिता

पापा बताओ ना, कुछ पिता के बारे में

पिता
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- डॉ. भगवान सहाय मीना

पापा बताओ ना, कुछ पिता के बारे में।
कोई छंद राग, अपनी कहानी के बारे में।

क्या आपके पापा भी करते थे,
इतना ही प्यार जितना,
भर छाती आप उड़ेलते हो दोनों हाथों से।
क्या उनके भी रहती थी,
शिकन माथे पर और झलकती थी,
चिंता आंखों से।

ठगी गई थी अल्हड़ जवानी उनकी भी,
ऐसे ही अबोध बच्चों के लिए।
अधूरे लगते थे आंखों के सपने,
घर परिवार अपनों के लिए।

उनकी भी अथक भाग-दौड़,
जिजीविषा और संघर्ष मय,
कसक भरी कहानी रही होगी।
हृदय के किसी कोने में,
कुछ बचपन की, कुछ जवानी की
इच्छाएं सिसकियां भरी होगी।

चाहे होंगे आपके पापा भी,
आपकी तरह दुनिया की हर खुशी,
अपनों के दामन में महका देना।
उनके कंधे भी झुके होंगे हमेशा,
ज़िम्मेदारियों से बोझिल हो,
खुशियों को सहारा देना।

उनकी भी मुस्कराहटों में,
साफ़ झलकती होगी कसक,
बड़े होते बच्चों के सपने,
पूरे करने की टीस।
चिंता उनके सफल होने की,
दुनियादारी के प्रपंचों से,
बच पाने की टीस।

पापा बताओ ना, कुछ पिता के बारे में।
कोई छंद राग, अपनी कहानी के बारे में।

बाड़ा पदमपुरा, जयपुर, राजस्थान।


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