उमरिया के चिकित्सालय में डेढ़ करोड़ का गड़बड़झाला
उमरिया ! जिला चिकित्सालय में 1 करोड़ 65 लाख के गड़बड़झाले का खुलासा हुआ है। हाल ही में पदस्थ नये मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर. के. सिंह ने सार्वजनिक रूप से यह खुलासा

उमरिया ! जिला चिकित्सालय में 1 करोड़ 65 लाख के गड़बड़झाले का खुलासा हुआ है। हाल ही में पदस्थ नये मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर. के. सिंह ने सार्वजनिक रूप से यह खुलासा कर सनसनी फैला दी है। बावजूद इसके न तो सत्ता पक्ष की तरफ से न ही विपक्ष की तरफ से इस संबंध में कोई आवाज उठाई गई। मामला सामने आने के बाद से कलेक्टर अभिषेक सिंह ने जिला चिकित्सालय का हिसाब जरूर तलब किया है लेकिन लोगों को नहीं लगता कि उनकी जांच का कोई नतीजा सामने आयेगा। इसके पूर्व भी कलेक्टर द्वारा जिला चिकित्सालय में कई बार छापेमारी और जांच-पड़ताल की गई लेकिन नतीजा ढॉक के तीन पात ही रहा।
ज्ञात हो कि जिला चिकित्सालय में स्थानीय स्तर पर की गई भर्तियों और एनआरएचएम के तहत विभिन्न मदों में प्राप्त आवंटन में नियमों को ताक पर रख कर बड़े पैमाने पर घपला किया गया है। अलग-अलग समय पर इसके विरूद्ध शिकायतें हुई और अखबारों में भी मामले उछाले गये पर भ्रष्टाचार को भ्रष्टाचार के जरिये दबाने में माहिर आरोपी बेखौफ अपना खेल खेलते रहे। इस बार यह मसला एक बार पुन: सतह पर इसलिए आ गया क्योंकि नये सीएमएचओ ने बड़ी बेबाकी से इसे सार्वजनिक कर दिया।
सूत्रों का कहना है कि जिला चिकित्सालय में नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के तहत वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में प्राप्त आवंटन में से तकरीबन 1 करोड़ 65 लाख रूपयों का कोई हिसाब ही नहीं है, जबकि उक्त राशि को खाते से निकाल लिया गया है। बताया जा रहा है कि सबसे बड़ी धांधली सिविल सर्जन डिपार्टमेंट में गई है। अस्पताल की साफ-सफाई, मेंटीनेंस से लेकर एनआरसी तक व्यापक घपले-घोटाले हुए हैं। भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों का कहना है कि इसमें से बहुत सारा खर्च आला अफसरों की विलासिता पूर्ति और रिश्वतखोरी के लिए किया गया है। लेकिन अब जब उसका हिसाब देने की बारी आई तो पसीने छूट रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नये सीएमएचओ ने एक पद के विरूद्ध थोपे गए दो-दो, चार-चार कर्मचारियों की फिलहाल छुट्टी कर रखी है, फिर भी पुराने एकाउटेंंट अस्पताल आकर फर्जी हिसाब बनाने में जुटे हैं, ताकि काला-पीला करके कुछ भी हिसाब प्रस्तुत कर फिलहाल मामले को शांत किया जाये। जब विस्तृत जांच होगी तब देखा जायेगा। यही वजह है कि आरोपी कलेक्टर को हिसाब प्रस्तुत करने में जुटे हैं। बताया जाता है इसके लिए दो दिन का समय मांगा गया है। अब देखना यह है कि जिला चिकित्सालय के सबसे जिम्मेदार अधिकारी के खुलासे के बाद भी इस मामले की सही ढंग से जांच हो पाती है अथवा पुराना अनुभव ही दोहराया जाता है।
सीएमएचओ ने घपले की बात स्वीकारी


