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इस साल किसानों के लिए अरंडी की मॉडल खेती लाभप्रद रही 

 देश के प्रमुख अरंडी उत्पादक राज्य गुजरात में इस साल किसानों के लिए अरंडी की मॉडल खेती लाभप्रद रही

इस साल किसानों के लिए अरंडी की मॉडल खेती लाभप्रद रही 
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मुंबई। देश के प्रमुख अरंडी उत्पादक राज्य गुजरात में इस साल किसानों के लिए अरंडी की मॉडल खेती लाभप्रद रही है। उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने बुधवार को जारी अपनी एक रपट में कहा कि इस साल गुजरात में मॉडल खेती तकनीक से किसानों को अरंडी उत्पादन बढ़ाने में मदद मिली है और प्रति हेक्टेयर औसतन 2,066 किलोग्राम के मुकाबले अधिकांश किसानों ने मॉडल खेती में 3,500-6,000 किलोग्राम उपज हासिल की है।

एसईए ने अपने शोध में दर्शाया है कि नवीनतम तकनीक व उत्तम किस्म के बीजों के इस्तेमाल से अरंडी की उत्पादकता में सौ फीसदी की बढ़ोतरी की जा सकती है।

एसईए ने अपने अध्ययन में पिछले दो वर्षो तक गुजरात के छह जिलों -बनासकांठा, पाटन, साबरकांठा, अरावली, जूनागढ़ और कच्छ- में परंपरागत तरीकों का उपयोग कर नियंत्रित खेती की तुलना की।

मॉडल कैस्टर प्रोजेक्ट किसानों के बीच पिकिंग की संख्या गैर मॉडल किसानों की अपेक्षा 40.74 प्रतिशत ज्यादा थी। मॉडल कैस्टर फार्म में क्लस्टर का आकार एवं संख्या गैर मॉडल फार्म में क्लस्टर की तुलना में बड़ा था।

शोध में सरदार कृषिनगर दंतीवाडा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की जीसीएच-7 किस्म के बीज का बेहतरीन परिणाम रहा है, इसमें पौघों का अच्छा विकास, रोग अवरोधक और ऊंची उत्पादकता शामिल है। मॉडल कैस्टर फार्म प्रोजेक्ट के तहत प्रमाणित बीजों के अलावा आर्गेनिक इनपुट्स, बेहतरीन कृषि व्यवहार जैसे कि पौधों के बीच जगह, सिंचाई तकनीक, इंटर क्रापिंग का इस्तेमाल किया गया, जिसमें दो पौधों के बीच की दूरी, पौधों को मिलने वाली हवा एवं सूर्य की रोशनी का भरपूर उपयोग ध्यान रखा गया।

एसईए के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने कहा, "यह उपाय प्रधानमंत्री की किसाना की आय दोगुनी करने के अनुरूप है। साथ ही अरंडी की खेती में किसानों की दिलचस्पी बढ़ाना इसका अहम मकसद है।"


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