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खेती कानून अकाली दल की मर्जी से अमल में लाए गए : अमरिंदर

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा है कि खेती कानून अकाली दल की मर्ज़ी से ही अमल में लाए गए थे और हरसिमरत कौर बादल के केंद्रीय मंत्री होते हुए मंत्रिमंडल में अध्यादेश पारित किए गए थे

खेती कानून अकाली दल की मर्जी से अमल में लाए गए : अमरिंदर
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बल्लोवाल सौंखड़ी (शहीद भगत सिंह नगर)। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा है कि खेती कानून अकाली दल की मर्ज़ी से ही अमल में लाए गए थे और हरसिमरत कौर बादल के केंद्रीय मंत्री होते हुए मंत्रिमंडल में अध्यादेश पारित किए गए थे।

उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की तरफ से भी खेती कानूनों की वकालत की गई लेकिन जब उनका विरोध होना शुरू हुआ तो अकाली दल ने सुर बदलते हुये केन्द्र सरकार से अपने को अलग करने में भलाई समझी । कांग्रेस सरकार ने पहली सर्वदलीय बैठक बुलाकर किसान संगठनों के साथ बैठक की। इसके बाद राज्य सरकार ने पंजाब विधान सभा का विशेष सत्र बुलाकर इन खेती कानूनों को प्रभावहीन करने के लिए बिल पास किये।

केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुये कैप्टन सिंह ने कहा कि 1950 से लेकर अब तक 127 बार संविधान में संशोधन किया जा चुका है। तो फिर क्यों नहीं खेती कानूनों में संशोधन करके किसानों को राहत देने के लिए खेती कानून रद्द किये जाएँ ताकि सिंघू और टिकरी सीमा पर किसानों का धरना खत्म हो।

उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार ने किसान आंदोलन के दौरान अपनी जानें गवाने वाले किसानों के परिवारों को पांच लाख रुपए प्रति किसान परिवार और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दे रही है।

मुख्यमंत्री आज बल्लोवाल सौंखड़ी में पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी, लुधियाना के कृषि कालेज की आधारशिला रखने के समय सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस कालेज के अकादमिक सैशन की शुरुआत भी की जिसके अंतर्गत 1 अक्तूबर से कक्षाएं शुरू होंगी। बीएस.सी. (कृषि) में 60 सीटें भरी गई हैं। यह पहली बार है कि पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी, लुधियाना के कैंपस से बाहर कृषि का कोई कालेज स्थापित किया गया है।

कैप्टन सिंह ने कहा कि इस कालेज के खुलने से कंडी क्षेत्र में कृषि विकसित होगी और इस क्षेत्र की फसलों और उनसे सम्बन्धित समस्याओं पर खोज करने के इलावा यहाँ के किसानों की आर्थिक स्थिति मज़बूत होगी। कालेज में इस पक्ष से भी खोज कार्य किये जाएंगे कि ज़मीन की कमी और क्षेत्र में पानी की कमी को देखते हुये कैसे पानी के सीमित साधनों का उचित प्रयोग करते हुए ज़्यादा पैदावार हासिल की जाये।

नवांशहर में एक बाग़बानी अनुसंधान केंद्र की स्थापना का ऐलान करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने फ़सलीय विभिन्नता पक्ष से सेब की फ़सल पर भी अनुसंधान किये जाने पर ज़ोर दिया। राज्य सरकार ने अब छोटे किसानों को उनकी फसलों के जंगली जानवरों से बचाव के लिए अपने खेतों के आसपास तारबन्दी के लिए सब्सिडी की राशि 60 प्रतिशत से बढ़ा कर 90 प्रतिशत करने का फ़ैसला किया गया है।


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