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मोदीकाल में बढ़ी किसानों की आत्महत्या

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों के अच्छे दिनों का वादा करते केन्द्र की सत्ता पर काबिज हुए थे, पर आंकड़े बताते हंश,

मोदीकाल में बढ़ी किसानों की आत्महत्या
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों के अच्छे दिनों का वादा करते केन्द्र की सत्ता पर काबिज हुए थे, पर आंकड़े बताते हंश, कि इनके सत्ता में आने के बाद से एक तरफ जहां किसानों की हालत दयनीय हुई है, वहीं उनकी आत्महत्याओं की संख्या भी बढ़ी है। इन आत्महत्याओं में किसानों के साथ ही खेत मजदूरों की संख्या भी काफी अधिक है। ये आंकड़े ग्रामीण भारत की बदहाल होती अर्थ व्यवस्था को उजागर करते हैं।

माना जा रहा है, कि सरकार ने जिस तरह नरेगा का बजट कम किया है, उसका सीधा परिणाम खेत मजदूरों की आत्महत्या के रुप में सामने आया है। लोकसभा में पेश साल 2016 के प्राथमिक आंकड़े बताते हैं, कि आत्महत्याओं में एक बार फिर भाजपा शासित महाराष्ट्र सबसे आगे है।

केन्द्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश आंकड़े बताते हैं, कि भाजपा की सरकार बनने के बाद महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या बढ़ी है, साल 2013 में जहां आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 3146 थी, जो सील 2014 में बढ़कर 4004 हुई, 2015 में यह संख्या 4291 हुई, साल 2016 में यह आंकड़ा 3661 है। महाराष्ट्र में खेत मजदूरों की तुलना में किसानों की आत्महत्या अधिक है। बात अगर पांच साल से लगातार कृषि कर्मठ अवार्ड लेने वाले भाजपा शासित मध्य प्रदेश की बात करें, तो यहां खेत मजदूरों की आत्महत्या किसानों से अधिक है। हालांकि मध्य प्रदेश सरकार खुद को नरेगा के क्रियान्वयन में भी अव्वल बताती आई है। यहां साल 2015 में आत्महत्या करने वाले कुल किसानों में 709 किसान थे, जिनकी संख्या 2016 में बढ़कर 722 हो गई।

इस साल यहां कुल 1321 किसानों ने आत्महत्या की। खेत मजदूरों की आत्महत्या के मामले में भाजपा का विकास माडल गुजरात भी काफी आगे है, साल 2014 में आत्महत्या करने वाले कुल 600 किसानों में कुल 555 खेत मजदूर थे, साल 2015 में कुल 301 किसानों में 244 खेत मजदूर थे, तो 2016 में कुल 408 किसानों में से 378 खेत मजदूर थे। खेत मजदूरों की हालत केरला में भी दयनीय है, यहां साल 2014 में कुल 807 किसानों ने आत्महत्या की, जिसमें 700 खेत मजदूर थे साल 2015 में यह संख्या घटकर 207 रह गया और 2016 में 298 हो गया। यहां माकपा मई 2016 में सत्ता में आई है, उससे पहले कांग्रेस की सरकार थी। कांग्रेस शासित कर्नाटक, एनडीए शासित आंध्र प्रदेश, भाजपा शासित छत्तीसगढ़ व राजस्थान और तेलंगाना भी किसानों की आत्महत्या के मामले में काफी आगे है।


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