किसानों का धरना खत्म, देशभर में निकलेंगी चार और यात्राएं
राजधानी के जंतर मंतर पर चल रहा किसानों का धरना आज खत्म हो गया। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के तत्वावधान में कल हुई किसान मुक्ति संसद बाद में धरने में बदल गई थी

नई दिल्ली। राजधानी के जंतर मंतर पर चल रहा किसानों का धरना आज खत्म हो गया। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के तत्वावधान में कल हुई किसान मुक्ति संसद बाद में धरने में बदल गई थी।
आज धरना स्थल पर कई राजनैतिक दलों के नेता आए, जिनमें कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी शामिल थे। धरना स्थल पर घोषणा की गई, कि किसान मुक्ति यात्रा के अगले चरण में देशभर में चार यात्राएं निकाली जाएँगी, जो कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड तथा बिहार में होगी। यह यात्रा 2 अक्टूबर को फिर दिल्ली पहुंचेगी और सरकार ने हमारी बात नहीं मानी तो पूरे देश में अनिश्चितकालीन अनशन किया जाएगा।"
धरना स्थल पर आज आत्महत्या कर चुके महाराष्ट्र के किसानों के बच्चों ने अपनी पीड़ा को एक नाटक के ज़रिए सबके सामने रखा। इस नाटक में उन लोगों ने दिखाया कि एक किसान की आत्महत्या के बाद उसके परिवार पर क्या गुज़रती है। । एक बच्चे अशोक पाटिल ने अपनी व्यथा प्रकट करते हुए कहा कि "बहुत सारे नेता हमारे घर हमसे मिलने आये और हमसे बहुत सारे वादे करके गए, लेकिन हमें मिला क्या? सिर्फ अगले दिन के अखबार में नेताओं के साथ छपा एक फोटो। वो हमें मदद करने आये थे या सेल्फी लेने आये थे?"
उत्तरप्रदेश के आलू किसानों ने भी आलू के गिरते दाम के ख़िलाफ़ किसान मुक्ति संसद में अपना विरोध प्रदर्शन किया। उत्तर प्रदेश से आलू किसानों के नेता आमिर ने कहा - "सरकार चाहती है कि हम अपनी फ़सल कोल्ड स्टॉरिज में रखें। लेकिन सच्चाई ये है कि हमारी फसल का जो दाम हमें मिल रहा है वो कोल्ड स्टॉरिज में रखने के ख़र्च से भी काफ़ी कम है।
तमिलनाडु से आयी एक किसान की पत्नी रानी, जिसके पति को बैंक अधिकारियों ने इतना अपमानित किया कि उसने आत्महत्या कर ली। किसान मुक्ति संसद को सम्बोधित करते हुए तमिलनाडु के किसानों के नेता अय्याकन्नु ने कहा - "तमिलनाडु के किसान सूखा जैसी स्थिति होने के कारण मर रहे हैं और हमारे विधायक किसानों के मुद्दों पर काम करने की बजाए अपनी सैलरी बढ़ाने की माँग लिए बैठे हैं।"
मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी किसान मुक्ति संसद में आये। वो भी किसानों की इन दो माँगों से सहमत थे कि किसानो को ऋणमुक्त किया जाए तथा उनकी आय को बढ़ाया जाए। महाराष्ट्र से आये विधायक हर्ष वर्धन सहाय ने भी किसानों के इस संघर्ष में साथ होने का दम भरा।


