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आंदोलन में शामिल होने गाजीपुर गए जामिया के छात्रों को किसानों ने वापस भेजा

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आज सोमवार को किसानों का आंदोलन लगातार 18वें दिन भी जारी है

आंदोलन में शामिल होने गाजीपुर गए जामिया के छात्रों को किसानों ने वापस भेजा
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आज सोमवार को किसानों का आंदोलन लगातार 18वें दिन भी जारी है। आज किसानों का ये आंदोलन उग्र रुप में है। राजधानी दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर बैठे किसान नेता भूख हड़ताल पर हैं। आज सुबह से ही किसान सड़कों पर एक दिन के अनशन पर बैठे हैं। सिंघु बॉर्डर से लेकर गाजीपुर बॉर्डर तक पर सड़कों पर किसान बैठे हैं और अनशन कर रहे हैं। इसी बीच जानकारी मिली की कल गाजीपुर बॉर्डर पर जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्र जो इस किसानों के आंदोलन में अपना समर्थन देने आए थे उनको वापस लौटा दिया गया।

दरअसल किसानों ने विपक्षी पार्टियों से लेकर राजनीति करने वाले लोगों को इस आंदोलन से दूर रहने की सलाह दी है। अब रविवार को दिल्‍ली-यूपी बॉर्डर पर स्थित गाजीपुर में किसानों के आंदोलन में दिल्‍ली की जामिया मिलिया इस्‍लामिया यूनिवर्सिटी के कुछ छात्र-छात्राएं भी पहुंचे। वे भी इस आंदोलन में शामिल होने के लिए आए थे, लेकिन किसानों ने विरोध करके और पुलिस ने हस्‍तक्षेप करके उन्‍हें वापस भेज दिया। किसानों का कहना है कि ये इस आंदोलन को राजनीति का मुद्दा नहीं बनाना चाहते इसलिए वह किसी को इसमें शामिल नहीं होने दे रहे।

जामिया के छात्रों के किसान आंदोलन में शामिल होने को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि इन छात्रों को अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। टिकैत ने कहा कि "पता नहीं ये छात्र-छात्राएं यहां क्‍यों आए थे। छात्र-छात्राओं को आंदोलन से दूर रहना चाहिए। उन्‍हें पढ़ाई पर ध्‍यान देना चाहिए। पता नहीं वे लोग यहां क्‍यों आए थे। वे यहां आएंगे तो फिर कोई बयान देंगे और इससे हमारा आंदोलन सफल नहीं होगा। इस आंदोलन को विपक्षी नेता और ऐसे लोग किसी और दिशा में ले जाएंगे।" गौरतलब है कि इस आंदोलन में शामिल होने के लिए 4 जामिया छात्र गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे थे जिनमें से एक लड़का और तीन लड़कियां थी।

आपको बता दें कि इन दिनों किसान आंदोलन अपने उग्र रुप में है। हरियाषा और पंजाब से अभी भी किसानों का जत्था दिल्ली आ रहा है। अनशन से लेकर हाईवे जाम और मंत्रियों को घेरने का दैर जारी है। सरकार इस कानून में संशोधन करने को तो तैयार है लेकिन इन नए कृषि कानूनों को वापस लेने को तैयार नहीं हैं। जहां सरकार अपने पर अड़ी है तो वहीं अब किसान भी सिर्फ एक मांग पर अड़े हैं कि उन्हें ये कानून नही चाहिए।


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