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किसानों ने चिल्ला-नोएडा बॉर्डर भी किया सील, अगर नोएडा से दिल्ली जा रहे हैं तो लें ये रुट

पहले सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और बुराड़ी में किसान इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे तो वहीं अब किसानों ने एक और बॉर्डर पर कब्जा कर लिया है

किसानों ने चिल्ला-नोएडा बॉर्डर भी किया सील, अगर नोएडा से दिल्ली जा रहे हैं तो लें ये रुट
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नई दिल्ली । देश की राजधानी दिल्ली में देश भर से किसान इकट्ठा हो रहे हैं। पिछले छ: दिन से लगातार किसान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और अब ये उग्र रुप लेता जा रहा है। पहले सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और बुराड़ी में किसान इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे तो वहीं अब किसानों ने एक और बॉर्डर पर कब्जा कर लिया है और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अब सैकड़ों की संख्या में किसानों ने नोएडा-दिल्ली के चिल्ला बॉर्डर (Chilla Border) पर धरना प्रदर्शन तेज कर दिया है। मंगलवार को ही इस बॉर्डर पर किसानों ने कब्जा कर लिया था और अब आज सातवें दिन यहां भी किसानों का प्रदर्शन जारी है।

मंगलवार शाम से ही किसानों ने पहले दिल्ली-नोएडा मार्ग फिर नोएडा से दिल्ली जाने वाले दोनों ही ओर के रास्ते को बंद कर दिया है। किसान इस रास्ते को भी बंद करके प्रदर्शन कर रहे हैं। इन किसानों की मांग दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने की है। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस उन्हें जाने नहीं देगी तो वो सड़क पर ही धरना देंगे। किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं। किसानों के प्रदर्शन के चलते नोएडा लिंक रोड पर चिल्ला बॉर्डर को ट्रैफिक के लिए बंद कर दिया गया है। लोगों को नोएडा-दिल्ली लिंक रोड से बचने की सलाह दी गई है।

पूरी तरह से यातायात प्रभावित होने के चलते लोगों को लगातार परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रास्ते बंद होने के कारण लगातार रुट डाइवर्ट किए जा रहे हैं। आज बुधवार को ऑफिस जाने वाले लोगों को भारी ट्रफिक का सामना करना पड़ा।

आपको बता दें कि आज राजधानी दिल्ली में किसान आंदोलन का सांतवा दिन है। कल मंगलवार को केंद्र सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया था। वार्ता हुई भी लेकिन एक बार फिर से ये बेनतीजा रही । सरकार ने नए कानूनों को लेकर प्रेजेंटेशन तो दी थी लेकिन किसानों ने ये साफ कह दिया कि ये कानून हमारे लिए फायदेमंद नहीं हैं। एक बार फिर से सरकार ने 3 दिसंबर को किसानों से बात करने का प्रस्ताव दिया है। अब देखना होगा कि इस उग्र होते आंदोलन को केंद्र सरकार किस तरह से संभालती है।


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