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किसानों ने धरना स्थल पर बनाए पक्के मकान,कृषि कानूनों को लेकर लंबा चलेगा आंदोलन

कृषि कानूनों पर सरकार किसानों की बात नहीं मान रही है, तो अब किसान भी सरकार के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने के लिए मन बना चुके हैं

किसानों ने धरना स्थल पर बनाए पक्के मकान,कृषि कानूनों को लेकर लंबा चलेगा आंदोलन
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कृषि कानूनों पर सरकार किसानों की बात नहीं मान रही है, तो अब किसान भी सरकार के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने के लिए मन बना चुके हैं. आंदोलन को और मजबूती प्रदान करने के लिए धरना स्थलों पर किसानों के रहने के लिए पक्के मकान बनाए जाने लगे हैं. किसानों का कहना है कि सरकार हमारी बात सुन नहीं रही है, और ऐसे घर वापस जाने वाले नहीं है, जब तक सरकार हमारी मांग नहीं मान लेती हम यहीं रहेंगे, जिसे लेकर अब वह अपनी तैयारी और मजबूत कर रहे हैं तो क्या है पूरी खबर और क्या है उनकी तैयारी - दिल्ली की गाजीपुर, सिंघु बॉर्डर से लेकर टिकरी बॉर्डर पर किसान मोदी सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे हैं. तो वहीं देश के अलग अलग राज्यों में इस को लेकर किसान महापंचायतें भी हो रही हैं, लेकिन सरकार पर इसका कुछ असर होता नहीं दिखाई दे रहा है. अब इसे लेकर किसानों ने भी मन बना लिया है कि उनका यह आंदोलन बहुत लंबा चलने वाला है, जिसे लेकर वह अपनी तैयारियों को और मजबूत करने में जुट गए हैं. दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों ने अब पक्के आशियाने बनाने शुरू कर दिए हैं. गर्मी और बरसात के मौसम को देखते हुए किसानों ने टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन वाली जगह पर पक्के मकान बनाने शुरू किए हैं. फिलहाल किसानों ने 25 पक्के मकान बना लिए हैं. किसानों का लक्ष्य 2000 पक्के आशियाने बनाने का है. किसानों का कहना है कि कृषि कानूनों के खिलाफ उनकी सरकार से लड़ाई लंबी चलने वाली है. इस वजह से उन्होंने पक्के आशियाने बनाने शुरू कर दिए हैं. गर्मी और बरसात के मौसम को देखते हुए इन आशियानों में पंखे, एसी से लेकर हर तरह की तैयारियां की जाएंगी. टिकरी बॉर्डर पर जो पक्के आशियाने बनाए जा रहे हैं, वह आम कमरे की तरह हैं. इन कमरों में कूलर और पंखों के साथ खिड़की भी है. हालांकि, इन मकानों की छत की ढलाई सीमेंट-बालू से नहीं हुई है, बल्कि पक्की छत की जगह पर पराली और घास-फूस की छत बनाई गई है, जिससे गर्मी में राहत मिले.


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