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प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाने के विरोध में किसान

भारत सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाने का किसान संगठन विरोध कर रहे हैं. संगठन इसे किसान-विरोधी कदम बता रहे हैं. कई थोक मंडियों में किसानों ने प्याज की नीलामी रोक दी है.

प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाने के विरोध में किसान
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वित्त मंत्रालय ने शनिवार 19 अगस्त को एक अधिसूचना जारी कर प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लागू कर दिया था. शुल्क 31 दिसंबर तक लागू रहेगा. सरकार ने कहा है कि यह शुल्क देश के अंदर प्याज की आपूर्ति को बढ़ाने और प्याज के बढ़ते दामों पर लगाम लगाने के लिएलागू किया है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की मुख्य प्याज मंडियों में औसत थोक भाव में जुलाई के मुकाबले अगस्त में 20 प्रतिशत का उछाल आया. इस समय इन मंडियों में प्याज 2,000 रुपये से ज्यादा प्रति क्विंटल के भाव बिक रहा है. इसके मुकाबले मार्च से मई के बीच इन मंडियों में प्याज का भाव 500 से 700 रुपये प्रति क्विंटल था.

दुनिया में भारतीय प्याज की मांग

किसानों का कहना है कि उस समय सरकार ने उन्हें राहत दिलाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया तो ऐसे में अब जब उनके मुनाफा कमाने के हालात बन गए हैं तो इस समय सरकार क्यों बाजार में हस्तक्षेप कर रही है. इसी आधार पर किसानों ने इस कदम का विरोध करने का फैसला लिया है. कई मंडियों से किसानों द्वारा प्याज की नीलामी को रोक दिए जाने की खबर आ रही है. कई जगह किसान हड़ताल पर चले गए हैं.

भारत से प्याज बड़ी मात्रा में निर्यात किया जाता है और कई देशों में भेजा जाता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2022-23 में 25,25,258.35 मीट्रिक टन प्याज का निर्यात किया गया, जिससे 4,522.79 करोड़ रुपयों की कमाई हुई. भारतीय प्याज बांग्लादेश, मलेशिया, यूएई, श्रीलंका, नेपाल और इंडोनेशिया जैसे देश खरीदते हैं. सबसे ज्यादा प्याज बांग्लादेश निर्यात किया जाता है.

बीते कुछ सालों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय प्याज की मांग बढ़ी है, लेकिन निर्यातकों को अंदेशा है कि 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाने से निर्यात को नुकसान पहुंचेगा. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कई निर्यातकों ने पहले से मौजूद दामों के आधार पर ठेके ले लिए हैं, जिसकी वजह से नए शुल्क का भार उन्हें ही उठाना होगा.

अचानक लिया गया फैसला

करीब 4,500 टन प्याज दूसरे देशों तक पहुंचने के रास्ते में है जिसके निर्यात शुल्क की वजह से होने वाला नुकसान अब इन निर्यातकों को ही भुगतना पड़ेगा. जानकार इसे एक गलत कदम बता रहे हैं.

विवादास्पद कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई समिति के सदस्य अनिल घनवत ने वेबसाइट रूरल वॉयस को बताया कि इससे भारत की विश्वसनीयतापर भी असर पड़ता है.

घनवत के मुताबिक इस तरह के अचानक लिए गए फैसलों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की विश्वसनीयता गिर गई है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से गिर कर आठ प्रतिशत पर आ गई है.


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